Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть Cuckoo Koel or koyal bird, कोयल पानी पीती हुई ,गौरैया संरक्षण, Sparrow Conservation

  • Nirmal Kumar Sharma
  • 2019-07-02
  • 2731
Cuckoo Koel or koyal bird, कोयल  पानी पीती हुई ,गौरैया संरक्षण, Sparrow Conservation
koelasian koelkoyal soundkoel soundkoel singingbirdswildlifebirds of indiacolorful birds
  • ok logo

Скачать Cuckoo Koel or koyal bird, कोयल पानी पीती हुई ,गौरैया संरक्षण, Sparrow Conservation бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно Cuckoo Koel or koyal bird, कोयल पानी पीती हुई ,गौरैया संरक्षण, Sparrow Conservation или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку Cuckoo Koel or koyal bird, कोयल पानी पीती हुई ,गौरैया संरक्षण, Sparrow Conservation бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео Cuckoo Koel or koyal bird, कोयल पानी पीती हुई ,गौरैया संरक्षण, Sparrow Conservation

Cuckoo drinking water on my roof, कोयल ,मेरे छत पर पानी पीती हुई ,गौरैया संरक्षण, Sparrow Conservation 2-7-19

🌳🌳🌺🌺🌹🦋🌹🌺🌺🌳🌳



           कोयल कुकू (Cuckoo) कुल का सुप्रसिद्ध पक्षी---कोकिल; मीठी बोली बोलनेवाली भारतीय पक्षियों में इसका विशेष स्थान है। कोयल का नर कौए जैसा गहरा काला और मादा भूरी चितकबरी होती है । कोयल सर्वथा भारतीय पक्षी है; यह इस देश के बाहर नहीं जाती, थोड़ा बहुत स्थानपरिवर्तन करके यहीं रहती है। यह कौये से थोड़ी छोटी पक्षी है परन्तु बहुत छरहरे बदन की होती है । 
           कोयल शाखाशायी पक्षी है, जो जमीन पर बहुत कम उतरती है। इसके जोड़े सुविधा के अनुसार अपनी सीमा बना लेते हैं और एक दूसरे के अधिकृत स्थान का अतिक्रमण नहीं करते। प्रति वर्ष वे अपने निश्चित स्थान पर ही आते हैं और कुछ समय बिताकर फिर अपने देश लौट जाते हैं।
         कुकू कुल के सभी पक्षी दूसरी चिड़ियों के घोसलें में अपना अंडा देने की आदत के लिये प्रसिद्ध हैं। उनकी इस विचित्र आदत को लोग बहुत समय से जानते थे, किंतु इसका यथेष्ट रहस्योद्घाटन पिछले 50 वर्षों में ही हो सका है।
         अन्य पक्षियों की भाँति अंडा देने का समय निकट आने पर कुकू वर्ग के पक्षी घोंसला बनाने की चिंता नहीं करते। वे कौए, पोदना और चरखी आदि के घोंसले में अपना एक अंडा देकर, उसका एक अंडा अपनी चोंच में भरकर लौट आते हैं और किसी पेड़ पर बैठकर उसे चट कर जाते हैं। इसी प्रकार वह दूसरे घोंसले में दूसरा अंडा देकर उसका एक अंडा खा लेते हैं। इस प्रकार अलग अलग घोंसलों में अपने अंडे देने के बाद उसे अपने अंडे बच्चों से छुट्टी मिल जाती है; आगे की चिंता बच्चे स्वयं कर लेते हैं।
        कभी-कभी कुछ मूल पक्षियों के अंडे ,जिसमें कोयल अंडा देती हैं उसका निपटारा कोयल के बच्चे अपने तरीके से कर देते हैं । अंडा फूटने पर जब कोयल का बच्चा बाहर निकलता है तब उसमें कुछ सप्ताह बाद एक ऐसी अनुभूति पैदा होती है कि वह अपने पंजों से घोंसले का किनारा दृढ़ता से पकड़कर घोंसलें के अन्य बच्चों को बारी बारी से अपनी पीठ पर चढ़ाकर ऐसा झटका देता है कि वे पेड़ से नीचे गिरकर मर जाते है। इस प्रकार घोंसले में एकछत्र राज्य स्थापित, अपने कृत्रिम माँ बाप द्वारा लाए गए भोजन से यह परोपजीवी शावक दिन दूना रात चौगुना बढ़ता है। कुछ दिनों बाद जब यह भेद खुलता है तब वह घोंसले से बाहर खदेड़ दिया जाता है और उसे स्वतंत्र जीवन बिताने के लिये मजबूर होना पड़ता है।
       जिस प्रकार बुलबुल उर्दू, फारसी और हिन्दी के साहित्योद्यान का प्रसिद्ध पक्षी है उसी प्रकार कोयल के बिना हमारा साहित्योपवन सूना ही रहता है। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही नर पक्षी के " कूँ ऊँँऊँँ ऊँँ- कूँ ऊँँऊँँ ऊँँ-कूँ ऊँँऊँँ ऊँँ " जैसे मधुर मादक स्वर से हमारी अमारइयाँ गूँज उठती हैं। 

     आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि केवल नर कोयल {संगलग्न काला वाला } ही बसंत ऋतु में अपनी " कूँ ऊँँऊँँ ऊँँ- कूँ ऊँँऊँँ ऊँँ-कूँ ऊँँऊँँ ऊँँ " की मधुर तान छेड़ता है । मादा की तो बहुत कर्कश आवाज होती है । उसे बहुत से लोग बाज़ जैसे चितकबरी होने से बाज़ समझ बैठते हैं । प्राचीन भारतीय साहित्य में कोयल को सदा ' कोयल गाती है ' { स्त्रिलिंग के रूप में } उद्बोधन किया गया है , जबकि यह सर्वथा गलत है -'कोयल गाती नहीं अपितु गाता है ,होना चाहिए ।

        यह विडिओ मैं अपने बारामदे से शाम को लगभग 4 बजे मेरे लगाए पिलकन { पाकड़ } के पेड़ पर कोयल ने अपनी मधुरतम् आवाज़ में गाना गाने लगी ,उसी को फिल्मा लिया ,इस विडिओ में पंखे का शोर भी सुनाई देता है , क्योंकि दिल्ली और उसके आसपास गर्मी 42 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पहुंच रहा है ... तो कोयल की यह प्रकृतिप्रदत्त मधुर गीत सुनिए... शुभकामनाएं..

      *"ये कोयलें मेरे छत की बगिया में लगभग प्रतिदिन आते हैं..पानी पीते हैं....और तड़के सुबह ही आकर अपनी मधुरतम् आवाज में सुमधुर संगीत की तान छेड़ते हैं.....कुछ और वीडियो भी भेज रहा हूँ..उन्हें सुनिए..और कोयल की सुमधुर गीत का आनन्द लें और अपने परिजनों और मित्रों ,रिश्तेदारों को भी प्रेषित करें.....यह विडिओ शाम के पाँच बजे मेरे छत की बगिया पर आए नर कोयल का है ,जो दिल्ली और उसके आसपास भयंकर गर्मी में अपनी प्यास बुझा रहा है ।

*निर्मल कुमार शर्मा , "गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण ,गाजियाबाद ,सम्पर्क 9910629632

ईमेल-*

[email protected]

2-7-19*


🌳🌳🌺🌺🌹🦋🌹🌺🌺🌳🌳

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]