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जय श्री सीताराम
प्रिय दर्शकों आज हम आप लोगों को बताएंगे कि कार्तिक मास का क्या महत्व है और कार्तिक मास में क्या करें क्या न करें।
कार्तिक मास हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और पुण्यकारी महीनों में से एक माना जाता है। इसे दामोदर मास या भगवान नारायण का महीना भी कहा जाता है।
कार्तिक मास का महत्व
भगवान विष्णु का जागरण: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास का यह अंतिम महीना होता है, और इसी माह में भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, जिसे देवोत्थानी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस महीने में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विशेष विधान है।
अक्षय पुण्य की प्राप्ति: इस मास में किए गए दान-पुण्य, स्नान और पूजा-पाठ का अक्षय (कभी न खत्म होने वाला) शुभ फल प्राप्त होता है।
तुलसी पूजा का विशेष महत्व: कार्तिक मास में तुलसी का पौधा लगाना, उनकी पूजा करना, और विवाह कराना सर्वोत्तम माना जाता है। तुलसी पूजा से सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है, और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
दीपदान: शास्त्रों में इस माह को दीपदान के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। नदी, तालाब, मंदिरों या तुलसी के पौधे के पास दीपदान करने से सभी पापों का नाश होता है और राजसी सुख की प्राप्ति होती है।
पवित्र स्नान: इस महीने में सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना) या घर पर ही शुद्ध जल से स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है, जिसे कार्तिक स्नान कहते हैं।
प्रमुख त्योहार: इस माह में करवा चौथ, दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, और छठ पर्व जैसे कई बड़े व्रत-त्योहार आते हैं।
कार्तिक मास में पालन करने योग्य नियम
क्या करें (Do's)
कार्तिक स्नान: प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
तुलसी पूजा: प्रतिदिन तुलसी के पौधे की पूजा करें, दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। तुलसी दल का सेवन (चबाना नहीं, पानी के साथ निगलना) लाभकारी होता है।
दीपदान: नियमित रूप से मंदिरों, नदियों या घर में भगवान विष्णु के सामने दीपदान करें।
भूमि पर शयन: इस मास में भूमि पर सोना अच्छा माना जाता है, जिससे मन में सात्विकता का भाव आता है।
संयमित आचरण: कम बोलें, किसी की निंदा न करें, विवाद से बचें, और मन पर संयम रखें।
दान: अपनी क्षमतानुसार अन्न दान, गौदान, तुलसी दान, आंवला दान और निर्धनों को दान करना बहुत शुभ होता है।
आराधना: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त पूजा करें, दामोदर अष्टकम का पाठ करें, और श्री हरि मंत्र का जाप करें।
क्या न करें (Don'ts)
तामसिक भोजन: प्याज, लहसुन, मांसाहार (मांस-मदिरा), बैंगन, करेला, दही, मठ्ठा, और उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई जैसी द्विदलन (दालों) का सेवन वर्जित माना जाता है।
शरीर पर तेल लगाना: नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को छोड़कर, अन्य दिनों में शरीर पर तेल लगाना वर्जित होता है।
दोपहर में सोना: कार्तिक मास में दोपहर में सोना अच्छा नहीं माना जाता है।
अन्य वर्जित कार्य: इस महीने में नाखून काटना, बाल कटवाना, और पेड़ काटना वर्जित माना गया है।
ब्रह्मचर्य: इस पवित्र मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक माना गया है।
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जय श्री सीताराम
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