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Скачать или смотреть अधर्म का युग कलयुग l Story Of Darkness l

  • Aadi Anta
  • 2025-09-06
  • 49
अधर्म का युग कलयुग l Story Of Darkness l
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Описание к видео अधर्म का युग कलयुग l Story Of Darkness l

हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार, समय के चार युगों में से कलियुग चौथा और अंतिम युग है। इसे 'अंधकार का युग' भी कहा जाता है, जहाँ धर्म, नैतिकता और सत्य का पतन होता है। कलियुग की शुरुआत भगवान कृष्ण के धरती छोड़ने के बाद हुई थी और इसका अंत भगवान विष्णु के दसवें अवतार, कल्कि के आगमन के साथ होगा।
एक कथा के अनुसार, कलियुग का आरंभ तब हुआ जब एक दिन परीक्षित नाम के राजा जंगल में शिकार कर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक बैल के तीन पैर टूट गए थे और चौथा पैर भी लंगड़ा रहा था। बैल को एक काला व्यक्ति मार रहा था। राजा ने क्रोधित होकर उस व्यक्ति से पूछा कि वह यह पाप क्यों कर रहा है। उस व्यक्ति ने बताया कि वह कलियुग है और वह धर्म का नाश करने के लिए आया है। बैल धर्म का प्रतीक था, जिसके चार पैर थे - सत्य, दया, तपस्या और दान। कलियुग के प्रभाव से ये तीनों पैर टूट चुके थे और केवल दान का एक पैर ही शेष था।
कलियुग ने राजा से प्रार्थना की कि उसे रहने के लिए कोई स्थान दिया जाए। राजा ने उसे जुआ, शराब, परस्त्रीगमन, हिंसा और सोना - इन पाँच स्थानों पर रहने की अनुमति दी। कलियुग राजा से बहुत खुश हुआ और उसने राजा की अंगूठी में रहने का फैसला किया, जिसमें सोना था।
एक दिन, राजा परीक्षित ने अपनी अंगूठी पहनकर एक ऋषि के आश्रम में प्रवेश किया। वह बहुत प्यासे थे, लेकिन ऋषि समाधि में लीन थे। कलियुग के प्रभाव से राजा ने एक मरे हुए साँप को ऋषि के गले में डाल दिया। जब ऋषि के पुत्र ने यह देखा तो उन्होंने राजा को श्राप दिया कि सात दिनों के भीतर तक्षक नाग उन्हें डस लेगा। राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने अपना राज-पाठ त्याग दिया। सात दिनों के बाद, तक्षक नाग ने उन्हें डस लिया और उनकी मृत्यु हो गई।
कलियुग में धर्म और अधर्म का संघर्ष चलता रहता है। लोग स्वार्थी, लालची और झूठ बोलने वाले हो जाते हैं। भाई-भाई से लड़ता है, पिता-पुत्र से लड़ता है, और कोई किसी पर विश्वास नहीं करता। लोग पाप को पुण्य और पुण्य को पाप समझने लगते हैं।
ऐसा माना जाता है कि कलियुग का अंत होने पर, भगवान कल्कि सफेद घोड़े पर सवार होकर आएंगे और सभी अधर्मियों का नाश करेंगे। इसके बाद, सतयुग का आरंभ होगा और धरती पर फिर से धर्म, सत्य और शांति स्थापित होगी।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें हमेशा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए और पाप से दूर रहना चाहिए। भले ही कलियुग में अधर्म का बोलबाला हो, लेकिन सत्य और धर्म की शक्ति हमेशा बनी रहती है।

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