निरंजन माला घट में फिर रे दिनरात 🎶🪔

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बहुत ही सुन्दर #निर्गुणी_भजन ___गायक भोला भैया गुर्जर जयमलपुरा द्वारा।

निरंजन माला घट मे फिरे दिन रात

उपर आवे निचे जावे,स्वास स्वास चली जाय।
संसारी नर समझे नही रे,वृथा जन्म गमाय॥१॥

सोहंम मन्त्र जपे नित प्राणी,बिन जिभ्या बिन दाँत।
अष्ट पहर मे सोवत जागत,कबहु न पलक सकात॥२॥

सोहम हंसा हंसा सोहम बार बार उलटाय।
सतगुरु पुरा भेद बतावे,निश्चय मन ठहरात॥३॥

‪@bhola_gurjar‬

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