श्री कृष्ण लीला | श्री कृष्ण जन्म (भाग -1)

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भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद।

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...  

Watch the story of "Shri Krishna Birth (Part-1)" now!

Watch Janmashtami Special Krishna Bhajan - Govind Madhav Jai Jai Gopal by Dev Negi - http://bit.ly/GovindMadhavJaiJaiGopal

कंस अपनी चचेरी बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ करवा रहा था। विवाह के पश्चात कंस देवकी और वासुदेव का सारथी बन उन्हें उनके राज्य में छोड़ने के लिये निकलता है। तभी रास्ते में आकाशवाणी होती है की कंस का मृत्युु देवकी के आठवे पुत्र द्वारा ही होगी। यह सुन कंस क्रोधित होकर देवकी को ही मारने की कोशिश करता है ताकि ना देवकी रहेगी और ना ही उसका पुत्र जन्म लेगा। कंस जैसे ही देवकी को मारने के लिए आगे बढ़ता है तो वासुदेव उसे रोक देता है। वासुदेव प्रतिज्ञा लेता है की वह अपने सभी पुत्रों को अपने आप कंस को सौंप देगा। कंस उन्हें अपने ही पास रख लेता है और उनको महल में ही क़ैद कर देता है।

महाराज उग्र्सैन देवकी वासुदेव को मुक्त करवा देते हैं। कंस अपने दो मित्र बाणासुर और भुमासूर से मिलने की नीति बनाता है। कंस और उसके मित्र महाराजा उग्र्सैन को मारने की योजना बनता है। अक्रूर को कंस पर शक होता है और वो कंस के किसी षड्यंत्र से सचेत रहने की तैयारी करता है। देवकी पहली बार गर्भ धारण करने की खबर से वासुदेव के भाई भगवान का प्रशाद भेजते हैं। कंस धीरे धीरे अपने मित्र राजाओं की सेना को एकत्रित कर रहा होता है। देवकी के अपने पहले पुत्र को जन्म देती हैं। वासुदेव अपने पहले पुत्र को लेकर कंस के पास चला जाता है। देवकी के पहले पुत्र को देख कंस उसे वापस भेज देता है क्योंकि उसे ख़तरा सिर्फ़ देवकी के आठवें पुत्र से है।

लेकिन कंस का सलाहकार चाणुर उसे देवकी के सभी पुत्रों को मारने के लिए कहता है। कंस देवकी वासुदेव के पास आकार उनके पुत्र को छिन लेता है और उनके पुत्र को मार देता है। फिर वह उन्हें कारगर में बंद कर देता है। राजा उग्र्सैन को इसकी खबर मिलती है तो वो कंस को अपने पास बुलाकर क्रोधित होते हैं और कंस को बंदी बनाने के आदेश देते हैं। कंस के मित्र की सेना वह पहुँच जाती है और राजा उग्र्सैन के सभी वफ़ादार सिपाहियों को मार देते हैं। कंस राजा उग्र्सैन को कारगर में डाल देता है। कंस की सेना राज्य में सभी जगह फैल जाती है और अपने क़ब्ज़े में ले लेता है। कंस पूरी मथुरा नगरी पर क़ब्ज़ा कर लेता है।

राजा शूरसेन अक्रूर को भागने के लिए कहते हैं।अक्रूर के साथी मिल कर मगध से अपनी सारे साथियों को सुरक्षित निकाल लेते हैं और वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिनी को गोकुल में नंदराय जी के पास भेज देते हैं। वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिनी अपने सिपाहियों के साथ वेश बदल नगर से निकल जाती हैं। अक्रूर के साथ रोहिनी गोकुल की और चल पड़ती है और नंदराय के घर पहुँच जाते हैं। कंस अपने आप को राजा घोषत कर देता है और सभा में झूठ बोल देता है की राजा सन्यास लेकर चले गए हैं और उन्हें राजा बना गए हैं। कंस का राज्यभिषेक किया जाता है। उग्र्सैन और उसके साथी देवकी और वासुदेव को भगाने की योजना बनाते हैं। मित्रसेन देवकी वासुदेव से मिलने बवर्ची बनकर जाता है और उन्हें आज़ाद करने की योजना बताता है लेकिन वासुदेव भागने से माना कर देते हैं। देवकी के दूसरा पुत्र जनम लेता है जिसे कंस आकर मार देता है। कंस देवकी के हर पुत्र का वध करता जाता है। शेष नाग श्री हरी से इस बार उनके साथ जनम लेने की प्रार्थना करते हैं लेकिन छोटे भाई नहीं बड़े भई के रूप में जनम लेने के लिए कहते हैं। शेष नाग जी देवकी के गर्भ में सातवें पुत्र की जगह ले लेते हैं।

जैसे ही कंस को यह पता चलता है तो कंस देवकी वासुदेव के कारागार में जाता है और देवकी पर हमला करने की कोशिश करता है तो उसे शेषनाग उन्हें अंधा कर देता है। कंस वह से चला जाता है। कंस नाग से भयभीत हो जाता है और उसे हर जगह नाग दिखायी देने लगते हैं। चाणूर कंस को देवकी को मारने की सलाह देता है लेकिन कंस मना कर देता है। श्री हरी देवी माँ भगवती को देवकी के सातवें पुत्र को रोहिनी के गर्भ में स्थापित करने के लिए कहते हैं ताकि उनका जनम हो सके। देवी माँ भगवती, देवकी के गर्भ से शेष नाग को निकल कर ले जाती हैं रोहिनी के गर्भ में स्थापित कर देती हैं ताकि शेष नाग का जनम हो सके।

देवकी को लगता है जैसे की उसका गर्भपात हो गया है ये खबर कंस को दी जाती है। देवी माँ भगवती यशोध को शेषनाग के रोहिनी के गर्भ में स्थापित करने की बात उन्हें बताती हैं और उन्हें माँ बनने के लिए यज्ञ की सलाह देती है ताकि उनकी गोद भी हरी हो सके। यशोदा नंदराय को जगा कर सारी बात बताती हैं। यशोदा रोहिनी को उनके गर्भ में देवकी के सातवें पुत्र के होने का बताती हैं। रोहिनी को गर्भवती होने से बहुत दुःख होता है क्योंकि वो माँ कैसे बन सकती है और लोग ये कैसे समझेंगे। इस पर नंदराय उन्हें अपने कुलगुरु शांडिलय के पास लेकर जाते हैं ताकि इन सब बातों का अर्थ समझ सके। गुरु शांडिलय उन्हें सब कुछ बताते हैं।

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