Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть मौकों कहाँ ढूंढें बन्दे मैं तो तेरे पास में, कबीर दास, सबद (पद व व्याख्या) By Dr. Jitendra Pant

  • Hindi Point (Hindi)
  • 2020-07-27
  • 114
मौकों कहाँ ढूंढें बन्दे मैं तो तेरे पास में, कबीर दास, सबद (पद व व्याख्या) By Dr. Jitendra Pant
Hindi kavitakshitijkritikaNCERT Hindi SyllabusCBSCE Hindi BooksUttrakhand Shiksha evam Pariksha Parishad Ramnagaronline teachingKabir dasSabadKabir GranthawaliKabeer ke doheKabir ke padMauko Kahan Dhundhe bande main to tere pas menOnline learningCovid-19Ko rona virusKo rona medicineIsolationQuarantineQuarantine centerUttrakhand shiksha vibhagSecondary education of uttrakhandKabira khada bazar menSur ke padMeera ke bhajanBhakti kal
  • ok logo

Скачать मौकों कहाँ ढूंढें बन्दे मैं तो तेरे पास में, कबीर दास, सबद (पद व व्याख्या) By Dr. Jitendra Pant бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно मौकों कहाँ ढूंढें बन्दे मैं तो तेरे पास में, कबीर दास, सबद (पद व व्याख्या) By Dr. Jitendra Pant или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку मौकों कहाँ ढूंढें बन्दे मैं तो तेरे पास में, कबीर दास, सबद (पद व व्याख्या) By Dr. Jitendra Pant бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео मौकों कहाँ ढूंढें बन्दे मैं तो तेरे पास में, कबीर दास, सबद (पद व व्याख्या) By Dr. Jitendra Pant

मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे l
मोको कहाँ ढूंढे बन्दे, मैं तो तेरे पास में ll ll
ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकान्त निवास में l
ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काशी कैलाश में ll१ll
ना मैं जप में ना मैं तप में, ना मैं बरत उपास में l
ना मैं क्रिया कर्म में रहता, नहीं योग संन्यास में ll२ll
नहीं प्राण में नहीं पिंड में, न ब्रह्माण्ड आकाश में l
ना मैं भृकुटी भँवर गुफा में, नहीं नाभि के पास में ll३ll
खोजी होय तुरत मिल जाऊँ, एक पल की हि तलाश में l
कहहिं कबीर सुनो भाई साधो, सब स्वांसों की स्वांस में ll४ll

भावार्थ – आत्मा ही परमात्मा है, यह बोध हो जाने पर, मानो वह अपने आपसे पूछ रहा है कि हे बंदे ! तू मुझे बाहर कहां खोजता है ! मैं तो तेरे पास में हूँ l पास में कहना भी कहने का एक तरीका है l मैं स्वयं वह हूँ जिसे खोज रहा हूँ l

ना मैं तीर्थ में हूं न मूर्ति में हूं, न एकांत निवास में हूं l न मैं मंदिर में हूं न मस्जिद में हूं, और न काशी तथा कैलाश में हूं l न मैं जप में हूं न तप में हूं और न व्रत तथा उपवास में हूं l न मैं क्रिया-कर्म में रहता हूं और न योग तथा सन्यास में रहता हूं l न मैं प्राण में हूँ न पिंड में हूं और न ब्रह्माण्ड तथा आकाश में हूं l न मैं भृकुटी में रहता हूं न भंवर गुफा में रहता हूं और न नाभि के पास कुंडलिनी आदि में रहता हूं l

यदि कोई खोजी हो तो उसे एक क्षण की तलाश में तुरंत मिल जाऊं l #कबीर_साहेब कहते हैं कि हे संतो ! सुनो, आत्म अस्तित्व तो सब श्वासों के श्वास में है l
लोग परमात्मा, ईश्वर, ब्रह्म, खुदा, गॉड, मोक्ष, परमपद बाहर खोजते हैं l यह उनका भ्रम है l जो खोज रहा है वह स्वयं परम सत है l दृष्टि बाहर से लौटाये और अपने आप पर ध्यान दे तो बाहर से कुछ पाना नहीं रहेगा l सारी इच्छाएं छोड़ देने पर छोड़ने वाला द्रष्टा जीव स्वयं शिव है l अपने आपको ठीक से समझना चाहिए और सांसारिक इच्छाएं छोड़ना चाहिए

भारत के महान संत और आध्यात्मिक कवि कबीर दास का जन्म वर्ष 1440 में हुआ था। इस्लाम के अनुसार ‘कबीर’ का अर्थ महान होता है। इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि उनके असली माता-पिता कौन थे लेकिन ऐसा माना जाता है कि उनका लालन-पालन एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनको नीरु और नीमा (रखवाला) के द्वारा वाराणसी के एक छोटे नगर से पाया गया था। वाराणसी के लहरतारा में संत कबीर मठ में एक तालाब है जहाँ नीरु और नीमा नामक एक जोड़े ने कबीर को पाया था।
ये शांति और सच्ची शिक्षण की महान इमारत है जहाँ पूरी दुनिया के संत वास्तविक शिक्षा की खातिर आते है।कबीर के माँ-बाप बेहद गरीब और अनपढ़ थे लेकिन उन्होंने कबीर को पूरे दिल से स्वीकार किया और खुद के व्यवसाय के बारे में शिक्षित किया। उन्होंने एक सामान्य गृहस्वामी और एक सूफी के संतुलित जीवन को जीया।


ऐसा माना जाता है कि अपने बचपन में उन्होंने अपनी सारी धार्मिक शिक्षा रामानंद नामक गुरु से ली। और एक दिन वो गुरु रामानंद के अच्छे शिष्य के रुप में जाने गये। उनके महान कार्यों को पढ़ने के लिये अध्येता और विद्यार्थी कबीर दास के घर में ठहरते है। ये माना जाता है कि उन्होंने अपनी धार्मिक शिक्षा गुरु रामानंद से ली। शुरुआत में रामानंद कबीर दास को अपने शिष्य के रुप में लेने को तैयार नहीं थे। लेकिन बाद की एक घटना ने रामानंद को कबीर को शिष्य बनाने में अहम भूमिका निभायी। एक बार की बात है, संत कबीर तालाब की सीढ़ियों पर लेटे हुए थे और रामा-रामा का मंत्र पढ़ रहे थे, रामानंद भोर में नहाने जा रहे थे और कबीर उनके पैरों के नीचे आ गये इससे रामानंद को अपनी गलती का एहसास हुआ और वे कबीर को अपने शिष्य के रुप में स्वीकार करने को मजबूर हो गये। ऐसा माना जाता है कि कबीर जी का परिवार आज भी वाराणसी के कबीर चौरा में निवास करता है।
हिन्दू धर्म, इस्लाम के बिना छवि वाले भगवान के साथ व्यक्तिगत भक्तिभाव के साथ ही तंत्रवाद जैसे उस समय के प्रचलित धार्मिक स्वाभाव के द्वारा कबीर दास के लिये पूर्वाग्रह था, कबीर दास पहले भारतीय संत थे जिन्होंने हिन्दू और इस्लाम धर्म को सार्वभौमिक रास्ता दिखा कर समन्वित किया जिसे दोनों धर्म के द्वारा माना गया। कबीर के अनुसार हर जीवन का दो धार्मिक सिद्धातों से रिश्ता होता है (जीवात्मा और परमात्मा)। मोक्ष के बारे में उनका विचार था कि ये इन दो दैवीय सिद्धांतों को एक करने की प्रक्रिया है।
उनकी महान रचना बीजक में कविताओं की भरमार है जो कबीर के धार्मिकता पर सामान्य विचार को स्पष्ट करता है। कबीर की हिन्दी उनके दर्शन की तरह ही सरल और प्राकृत थी। वो ईश्वर में एकात्मकता का अनुसरण करते थे। वो हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा के घोर विरोधी थे और भक्ति तथा सूफ़ी विचारों में पूरा भरोसा दिखाते थे।
कबीर के द्वारा रचित सभी कविताएँ और गीत कई सारी भाषाओं में मौजूद है। कबीर और उनके अनुयायियों को उनके काव्यगत धार्मिक भजनों के अनुसार नाम दिया जाता है जैसे बनिस और बोली। विविध रुप में उनके कविताओं को साखी, श्लोक (शब्द) और दोहे (रमेनी) कहा जाता है। साखी का अर्थ है परम सत्य को दोहराते और याद करते रहना। इन अभिव्यक्तियों का स्मरण, कार्य करना और विचारमग्न के द्वारा आध्यात्मिक जागृति का एक रास्ता उनके अनुयायियों और कबीर के लिये बना हुआ है

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]