हर युवा लेखक अपने को महान समझता है...बातें-मुलाकातें में Mridula Garg की बेबाकी | Sahitya Tak

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उनकी कहानियों में प्रेम अभिव्यक्ति भी है, तो कर्म भी. इनके बीच वे अपने सृजन का हुनर पिरोती हैं और अनुभवों की चाशनी से ऐसा संसार रच देती हैं, जिसमें 'उसके हिस्से की धूप' खिल आती है. आलम यह है कि 'मिलजुल मन' वाले उनके 'वंशज', 'मैं और मैं' के बीच 'कठगुलाब' और 'चितकोबरा' से होते हुए 'अनित्य' हो जाते हैं. उपन्यासों की इस लंबी शृंखला के बीच उनकी कहानियां 'ग्लेशियर से' निकलकर 'उर्फ सैम' के साथ चलती हुई 'टुकड़ा-टुकड़ा आदमी' के संग होते हुए 'संगति-विसंगति' से जूझती हैं और 'मेरे देश की मिट्टी अहा' से 'समागम' करते हुए 'मीरा नाची' तक जा पहुंचती हैं. इस बीच 'शहर के नाम', 'डैफोडिल जल रहे हैं' और 'जूते का जोड़ गोभी का तोड़' जैसे चर्चित कहानी संकलन भी आ जाते हैं. नाटकों से भी आपकी मुहब्बत कम नहीं है, उनका 'एक और अजनबी', 'जादू का कालीन' बुनता है और 'कितनी कैदें' कैदें' से होता हुआ 'रंग-ढंग' और 'चुकते नहीं सवाल' जैसे निबंध संग्रहों तक जा पहुंचता है. इस बीच यात्रा वृतांत 'कुछ अटके कुछ भटके' और व्यंग्य 'कर लेंगे सब हज़म' और 'खेद नहीं है' भी आ जाता है. हम बात कर रहे हैं हमारे दौर की वरिष्ठ रचनाकार मृदुला गर्ग की कृतियां हैं. मृदुला गर्ग का जन्म 25 अक्टूबर, 1938 को कलकत्ता, अब के कोलकाता में हुआ. आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया. आपकी पहली कहानी सन् 1970-71 में प्रकाशित हुई, तो पहला उपन्यास 1975 में. आप इनसानी रिश्तों की एक अनूठी चितेरी हैं, पर साहित्य के अलावा पर्यावरण, सामाजिक संदर्भ एवं स्त्री विमर्श भी आपके लेखन का केंद्र रहे हैं. आपने केवल भारत ही नहीं अमरीका, यूरोप के अनेक विश्वविद्यालयों और संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़े संस्थानों में बहुतेरे व्याख्यान भी दिये हैं. आपकी रचनाओं के अनुवाद अंग्रेज़ी और जर्मन सहित देश और दुनिया की कई भाषाओं में हो चुके हैं. अपने रचना कर्म के लिए आप हिंदी अकादमी के साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के साहित्य भूषण सम्मान, महाराज वीरसिंह सम्मान, सेठ गोविंददास सम्मान, व्यास सम्मान, स्पंदन कथा शिखर सम्मान, हैल्मन हैमट ग्रांट, ह्यूमन राइट्स वाच न्यूयॉर्क और मध्य प्रदेश साहित्य परिषद सहित साहित्य अकादमी सम्मान से भी सम्मानित हो चुकी हैं. आज साहित्य तक के साप्ताहिक कार्यक्रम बातें-मुलाकातें में हिंदी साहित्य की वरिष्ठ हस्ताक्षर मृदुला गर्ग से पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की लंबी बातचीत.
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