हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के 67वें एपिसोड में मिलिए सुपरिचित कथाकार सूर्यबाला से। सूर्यबाला (जन्म : 1943, वाराणसी) हिन्दी की आधुनिक उपन्यासकार और कहानीकार हैं। 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय' से हिंदी साहित्य में पीएच. डी.। कार्य का प्रारंभ आर्य महिला विद्यालय में अध्यापन से। 1972 में पहली कहानी सारिका में प्रकाशित। 1975 में बंबई आने के बाद लेखन में विशेष प्रगति। 1975 में प्रकाशित पहला उपन्यास 'मेरे संधिपत्र' विशेष रूप से चर्चित। समकालीन कथा साहित्य में सूर्यबाला का लेखन अपनी विशिष्ट भूमिका और महत्त्व रखता है। समाज, जीवन, परंपरा, आधुनिकता एवं उससे जुड़ी समसयाओं को सूर्यबाला एक खुली, मुक्त और नितांत अपनी दृष्टि से देखने की कोशिश करती हैं। उसमें न अंध श्रद्धा है न एकांगी विद्रोह।
इनकी अब तक 19 से भी ज़्यादा कृतियाँ, पाँच उपन्यास, दस कथा-संग्रह, चार व्यंग्य-संग्रह के अलावा डायरी व संस्मरण प्रकाशित हो चुके हैं। अनेक रचनाएँ कक्षा आठ से लेकर स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर तक के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। प्रकाशित कृतियाँ : 'मेरे संधि-पत्र’, ‘कौन देस को वासी : वेणु की डायरी’, ‘सुबह के इन्तज़ार तक’, ‘अग्निपंखी’, 'यामिनी-कथा’, ‘दीक्षान्त’ (उपन्यास); ‘एक इन्द्रधनुष जुबेदा के नाम’, 'दिशाहीन’, 'थाली-भर चाँद’, 'मुँडेर पर’, 'गृह-प्रवेश', ‘साँझवाती', ‘कात्यायनी संवाद’, ‘मानुष-गंध’, ‘गौरा गुनवंती’ (कहानी); 'अजगर करे न चाकरी’, ‘धृतराष्ट्र टाइम्स’, ‘देश सेवा के अखाड़े में’, 'भगवान ने कहा था’, 'यह व्यंग्य कौ पंथ’ (व्यंग्य); ‘अलविदा अन्ना’ (विदेश संस्मरण); ‘झगड़ा निपटारक दफ़्तर' (बाल हास्य उपन्यास)। कई रचनाएँ भारतीय एवं विदेशी भाषाओँ में अनूदित। टीवी धारावाहिकों के माध्यम से अनेक कहानियों, उपन्यासों तथा हास्य-व्यंग्यपरक रचनाओं का रूपांतर प्रसारित। ‘सज़ायाफ़्ता’ कहानी पर बनी टेलीफ़िल्म को वर्ष 2007 का सर्वश्रेष्ठ टेलीफ़िल्म पुरस्कार। कोलंबिया विश्वविद्यालय (न्यूयार्क), वेस्टइंडीज़ विश्वविद्यालय (त्रिनिदाद) एवं नेहरू सेंटर (लंदन) में कहानी एवं व्यंग्य रचनाओं का पाठ। न्यूयार्क के ‘शब्द’ टी.वी. चैनल पर कहानी एवं व्यंग्य-पाठ।
साहित्य में योगदान के लिए ‘प्रियदर्शिनी पुरस्कार’, ‘व्यंग्यश्री पुरस्कार’, ‘रत्नादेवी गोयनका वाग्देवी पुरस्कार’, ‘हरिशंकर परसाई स्मृति सम्मान’, महाराष्ट्र साहित्य अकादेमी का राजस्तरीय सम्मान, महाराष्ट्र साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च ‘शिखर सम्मान’, ‘राष्ट्रीय शरद जोशी प्रतिष्ठा पुरस्कार’, भारतीय प्रसार-परिषद का ‘भारती गौरव सम्मान’ आदि से सम्मानित।
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