।। सतगुरु तेरा करले बेरा, बस्ता तेरे माहीं |बाहर क्यों फिरै, भटकता भाई ।। Adv अनिल जांगड़ा ।।

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सतगुरु तेरा करले बेरा, बस्ता तेरे माहीं |
बाहर क्यों फिरै, भटकता भाई || टेक ||

अख:ह अनामी से गंगा उतरी, मल मल गोते लाले तूं |
बिन साबुन तेरा मैल कटेगा, निर्भय होकर नहाले तूं |
बिन सतगुरु तेरा भर्म ना टूटे, संत शरण में जाले तूं |
तेरा सतगुरु तेरे माहीं, करके प्रेम रिझाले तूं |
है मंजिल दुहेली होजा सुहेली, ला ध्यान गुरु के तांई || 1 ||

इन पांचो को बस मे करले, जोणसे चोर तेरी देह में |
हरदम जगती ज्योत इलाही, चाँद चकोर तेरी देह में |
बंकनाल झीना सा रास्ता, शब्द की डोर तेरी देह में |
बेहद बाजे बाज रहे, उठै घनघोर तेरी देह में |
खुले दरवाजा शब्द हो राजा, देगा तनै दिखाई || 2 ||

उस सतगुरु नै रटले बन्दे, जिसने देह बक्शी नर की |
बैठ एकांत में आसन लाले, ईष्ट बांधले सतगुरु की |
मन को रोक थाम ले सुरता, झांकी बंद कर अंदर की |
तेरी सुरति पहुंचे शब्द द्वारे, सैर करे अगमपुर की |
ध्यान लगाले,सुरत चढ़ाले, पकड़ शब्द की राही || 3 ||

राधास्वामी परम संत ने, गुप्त द्वारा खोल दिया |
जैमलशाह ने सावनशाह को, नाम रतन अनमोल दिया |
शाह मस्ताना शब्द स्वरूपी ने, काल पर हमला बोल दिया |
छः सौ मस्ताना सच्ची मौज ने, बजा शब्द का ढोल दिया |
तुम गुण गाल्यो अनामी में चलो, अब मौज लेण नै आई || 4 ||

वार्ता : हे बंदा ! तूं बाहर कहां तीर्थ व्रत तथा मंदिरो में देवताओ के पत्थर की मूर्तियां पूजता फिरता है | वक्त के संत सतगुरु की खोज कर वह आपको अंदर वाले राम से मिला देंगे | सारा मसाला तेरे अंदर है जिसे तूं बाहर ढूंढ रहा है वह तेरे अंदर ही मौजूद है | मगर वह भेदी वक्त के संत सतगुरु की खोज करके चरणों में लग जावेगा तब आपको राम से मिला देगें | वरना काल भगवान आपको धोखा देकर जेल खाने में डाल देगा |

|| धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा ||
|| परम संत छः सौ मस्ताना जी तेरा ही आसरा ||

Satguru tera karle bera
Shah mastana ji
600 mastana ji
Dhan Dhan Satguru Tera Hi Asra
Shah Mastana Balochistani ji

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