श्री हनुमान चालीसा | Hanuman Chalisa | जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

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HANUMAN CHALISA | हनुमान चालीसा | जय हनुमान ज्ञान गुन सागर | दोहा | चौपाई | बजरंग बली |


श्री रामचरितमानस
Śrī Rāmacaritamānasa
(The Mānasa lake containing the exploits of Śrī Rāma)
श्री रामचरितमानस: अयोध्या काण्ड
Descent Two (Ayodhya-Kanda)

दोहा- श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥



॥चौपाई॥

जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥१॥
रिधि सिधि संपति नदी सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥
मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती ॥२॥
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥३॥
मुदित मातु सब सखी सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली॥
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ॥४॥

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