Rail Yatra Per Nibandh//रेल यात्रा पर निबंध

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Rail Yatra Per Nibandh//रेल यात्रा पर निबंध

रेल यात्रा पर निबंध

यात्राएं मनोरंजक होती हैं, विशेषकर रेल यात्राएं। जितने जाने-अनजाने चेहरे यहां मिलते हैं, शायद ही किसी और यात्रा साधन में किसी से टकराते हों। यहां जितने चेहरे होते हैं, उतने क़िस्से होते हैं। यह क़िस्सा भी एक ऐसी ही यात्रा का है और जब तक रेल यात्राएं रहेंगी, ऐसे क़िस्से और पात्रों से मुलाक़ातें हाेती रहेंगी।

रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही हैं। ठीक कहते हैं । रेलें हमेशा प्रगति करती हैं। वे मुंबई से प्रगति करती हुई दिल्ली तक चली जाती हैं और वहाँ से प्रगति करती हुई मुंबई तक आ जाती हैं। अब यह दूसरी बात है कि वे बीच में कहीं भी रुक जाती हैं और लेट पहुँचती हैं। पर अब देखिए ना, प्रगति की राह में रोड़े कहाँ नहीं आते। राजनीतिक पार्टियों के रास्ते में आते हैं, देश के रास्ते में आते हैं, तो यह तो बिचारी रेल है। आप रेल की प्रगति देखना चाहते हैं, तो किसी डिब्बे में घुस जाइए। बिना गहराई में घुसे आप सच्चाई को महसूस नहीं कर सकते ।

हमारे यहाँ कहा जाता है- ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें। आप पूछ सकते हैं कि इस छोटी-सी रोजमर्रा की बात में ईश्वर को क्यों घसीटा जाता है ? पर जरा सोचिए, रेल की यात्रा में ईश्वर के सिवा आपका है कौन ? एक वही तो है, जिसका नाम लेकर आप भीड़ में जगह बनाते हैं। भारतीय रेलों में तो यह है आत्मा सो परमात्मा और परमात्मा सो आत्मा ! अगर ईश्वर आपके साथ हैं, टिकिट आपके हाथ है, पास में सामान कम और जेब में पैसा ज्यादा है, तो आप मंजिल तक पहुँच जाएँगे, फिर चाहे बर्थ मिले न मिले। अरे, भारतीय रेलों का काम तो कर्म करना है। फल की चिंता वह नहीं करती। रेलों का काम एक जगह से दूसरी जगह जाना है। यात्री की जो भी दशा हो । जिंदा रहे या मुर्दा, भारतीय रेलों का काम उसे पहुँचा देना भर है। अरे जिसे जाना है, वह तो जाएगा। बर्थ पर लेटकर जाएगा, पैर पसारकर कर जाएगा। जिसमें मनोवल है, आत्मबल, शारीरिक बल और दूसरे किस्म के बल हैं, उसे यात्रा करने से नहीं रोक सकता । वे जो शराफत और अनिर्णय के मारे होते हैं, वे क्यू में खड़े रहते हैं, वेटिंग लिस्ट में पड़े रहते हैं। ट्रेन स्टार्ट हो जाती है और वे सामान लिए दरवाजे के पास खड़े रहते हैं। भारतीय रेलें हमें जीवन जीना सिखाती हैं। जो चढ़ गया उसकी जगह, जो बैठ गया उसकी सीट, जो लेट गया उसकी बर्थ। अगर आप यह सब कर सकते हैं, तो अपने राज्य के मुख्यमंत्री भी हो सकते हैं । भारतीय रेलें

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