@तीसरी ऑख के चमत्कार । गुप्त सटीक मूल्यांकन

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#@तीसरी आंख के ध्यान पर प्राचीन काल से लेकर अभी तक सभी संस्कृतियों में इसकी प्रशंसा की गई है। मनुष्य की तीसरी आंख तब काम करती है जब उसका मन शांत हो, चित्त स्थिर हो। आधुनिक मनोविज्ञान और वैज्ञानिक शोध कहते है कि दोनों भौंहों के मध्य एक ग्रंथि है, जो शरीर का सबसे रहस्यमय अंग है। इस ग्रंथि को पीनियल ग्रंथि कहते हैं। इसे ही विशेषज्ञ तीसरी आंख मानते हैं। दरअसल तीसरी आंख एक आध्यात्मिक प्रतीक है, जो हमारे भीतर आंतरिक ज्ञान को जगाकर रोजमर्रा की जिंदगी में व्याप्त सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने की हमारी क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है।

कई पूर्वी परंपराओं में तीसरी आंख को सत्य माना गया है। इसे कोई भी व्यक्ति स्वयं के अंदर अच्छी समझ के साथ अनुभव कर सकता है और स्पष्ट रूप से महसूस कर सकता है। तीसरी आंख का ध्यान हमारे भौतिक और आध्यात्मिक के बीच संबंध के रूप में जाना जाता है। नियमित रूप से ध्यान करने पर तीसरा नेत्र खुलता है। तीसरी आंख पर ध्यान करना प्याज की परत को उधेड़ना है। जिस तरह प्याज में परते होती है वैसे ही हमारे आज्ञा चक्र के चारों और परत का जाल है, जो हमारे विचारों से पैदा किया गया होता है। ध्यान द्वारा एक-एक करके इन परतों को खोला जाता है और अंत में शून्यता के साथ हम अनंत ब्रह्माण्ड में किसी भी तरंग को पकड़ने में सक्षम हो जाते है। आज्ञा चक्र का मुख्य कार्य ही विचरण करती तरंगों को पकड़ना है। आज्ञा चक्र को भारतीय साधना में तीसरा नेत्र कहा जाता है। तीसरा नेत्र आंतरिक लोकों और उच्चतर चेतना के स्थान का द्वार है। अध्यात्म में, तीसरा नेत्र मुक्ति या फिर मनोवैज्ञानिक यादों के उद्गम से जुड़ा होता है। धार्मिक सपने, दूरदर्शिता, चक्रों और आभाओं को देखने की क्षमता ये सभी तीसरे नेत्र से जुड़े हु
@ओशो ने एडसन कायसी के रहस्यमय जीवन और तिसरी ऑख के राज#
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