Raher Sthan Darshan by Sarang Dhar || Jay Krishni Mahanubhav ||

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सभी प्रभु प्रेमियों को दंडवत प्रणाम ।

आज हम दर्शन करने जा रहे है महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में स्थित राहेर नामक स्थान का ।

भगवान के गंगातीर का यह अंतिम स्थान है । तथा यादव कालीन हेमाण्डपंथी मंदिर होने के कारण यह गाँव पुरातात्विक दृष्टि से भी अवलोकनीय है । भगवान सर्वज्ञ श्रीचक्रधर प्रभू यहां 2 बार एकांत में आए थे । भगवान का यहाँ 12 साल वास्तव्य होने के कारण यह एक महास्थान भी है । स्वामी जी ने यहाँ के नरसिंह मंदिर तथा रामलक्ष्मण मंदिर में निवास भी किया था ।


तो चलिए चलते है, राहेर की ओर।

जाने के लिए मार्ग ।

राहेर यह गांव नांदेड से राहेर (नर्सी मार्गे से) 67 किलोमीटर हैं ।

राहेर गांव में जाने के लिए एस.टी. बस सेवा उपलब्ध है ।तथा यहां तीर्थयात्रियों के निवास की उत्तम व्यवस्था है ।

यहां के 7 स्थान 6 अलग-अगल स्थान पर हैं ।

उसमे से 2 स्थान मुख्य मंदिर में । एक स्थान गोदावरी नदी के तट पर । एक स्थान नर्सिंग मंदिर में । 2 स्थान रामलक्ष्मण मंदिर में । तथा स्थान गावँ के बाहर हैं ।

तथा दो निर्देशरहित स्थान भी है ।

स्थानों की जानकारी ।


1. आसन स्थान ।

यह स्थान पुराने राहेर गांव के पूर्व दिशा में गाँव के पास गोदावरी नदी के दक्षिण किनारे पर उत्तराभिमुख मंदिर में है.
इस मंदिर का मुख्य प्रवेशद्वार पश्मिमाभिमुख है. स्वामी जी के समय यहां पिपल का पेड़ था. उसी पेड़ के निचे वाला यह स्थान है.

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लीला : पूर्वार्ध लीला 64.

राहेर में वामनपेंधी की मृत-पत्नी को जीवित करना :

2. वामनपेंधी मृतभार्या जीववणे स्थान ।

यह स्थान आसन स्थान मंदिर के पूर्व दिशा में उत्तराभिमुख मंदिर में है. पहला और दूसरा स्थान एक ही मंदिर परिसर है.

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लीला : राहेर में वामनपेंधी की मृत-पत्नी को जीवित करना :

3. विहरण स्थान ।

यह स्थान मुख्य मंदिर से पश्चिम दिशा की ओर 300 मीटर दूर अंतर पर, पुराने राहेर गांव में, गोदावरी नदी के दक्षिण किनारे पर राम-लक्ष्मण के प्राचीन मंदिर में है. उस मंदिर के दक्षिण दिशा में लिंग के पूर्वाभिमुख मंदिर के चौक में है. वही चौक नमस्कारी हैं.

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लीला : सर्वज्ञ श्रीचक्रधरप्रभू यहाँ विहरण के लिए आते थे, उस समय उनको इसी चौक में आसन होता था.

4. लिंग के मंदिर में आसन स्थान ।

यह स्थान राम-लक्ष्मण के प्राचीन मंदिर के दक्षिण बाजू में हैं ।

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5. अवस्थान स्थान ।

यह स्थान राहेर गांव के उत्तर दिशा में गोदावरी नदी के दक्षिण किनारे पर नरसिंह देवता के पूर्वाभिमुख मंदिर के चौक में है. यह चौक नमस्कारी है.

इस पूर्वाभिमुख मंदिर के अंदर जाते ही नरसिंह मूर्ति के सामने ही चौक नजर आता है ।

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लीला : सर्वज्ञ श्रीचक्रधरप्रभूजी का यहां एकांत में 20 दिन वास्तव्य था.


6. आरोगणा स्थान ।

यह स्थान नरसिंह मंदिर के ईशान्य दिशा में गोदावरी नदी के भीतर में दक्षिण बाजू में एक विस्तृत चट्टान पर स्थित मंदिर में है.

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लीला : सर्वज्ञ श्रीचक्रधरप्रभू जी गांव से पानी पात्र भिक्षा करके यही पर आकर भोजन करते थे.

यहां की एक और लीला प्रचलित है.

पूर्वार्ध लीला 35.

पंचकौलाचार्य को ग्रहत्व से मुक्ति :

7 : घाटी आसान स्थान अथवा बाघिन के शावकों के साथ खेलना स्थान :

यहां पुराने राहेर गांव से 2 किलोमीटर दूर नए राहेर गांव में हरनाला नामक स्थान आया हुआ है, कहा जाता है कि स्वामी जी ने बाघिन के 2 पिल्लों अर्थात शावकों को अपनी बगल में पकड़कर उनके साथ खेल क्रीड़ा थी.

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पूर्वार्ध लीला 62 : लांसिपिली खेळवणे अर्थात व्याघ्रपिली खेळवणे :


निनिर्देशरहित स्थान ।

1. विहरण स्थान के दक्षिण दिशा में कुछ अंतर पर स्थित पर स्थित 'महाद्वार नामक स्थान' ।

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2. पुराने राहेर गांव में पूर्वाभिमुख मंदिर में स्थित 'भिक्षा स्थान' ।

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यह स्थान भिक्षा अन्न स्विकार स्थान है, ऐसा पंरपरा से कहा जाता है, किंतु लिखित सबूत पोथी में उपलब्ध नहीं है ।

अनुपलब्ध स्थान :

1) वामनपेंधी के परिसर में स्थित पाणिपात्र नामक स्थान


राहेर गांव में कुल 8 स्थान है, जिसमें से 7 स्थान उपलब्ध हैं, और 1 स्थान अनुपलब्ध है, तथा 2 स्थान निर्देशरहित हैं.

दंडवत प्रणाम.



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