Aashavadi- Vishesh Pravachan by H.H.Acharya Shri Mahapragya Ji on Chobisi

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महाप्रज्ञ अमृतवाणी
प्रवचन विषय : आशावादी

प्रवचनकार: परम आराध्य ज्योतिपुंज पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी

जिनका एक प्रवचन आपके जीवन की दिशा को बदल सकता हैं।

श्रीमद् जयाचार्य ने चौबीसी में बड़ा सुंदर कहा हैं-

1. तीर्थंकर सुविधि प्रभु।
सुविधि भजियै शिरनामी हो।

(नत - मस्तक हो अर्हत् सुविधि का भजन करें।)

मधुकर मरंद तणी परै,सुर नर करत सलामी हो।
तो पिण राग व्यापै नहीं,जीत्यो मोह हरामी हो।।५।।

(सुविधि प्रभो! कमल पराग पर मधुकर की भांति देव और मनुष्य प्रणाम की मुद्रा में तुम्हारे पास मंडराते है फिर भी तुम में राग व्याप्त नहीं होता,क्योंकि क्लेश पैदा करने वाले मोह को तुमने जीत लिया।)

(Lord Suvidhinatha ! Human beings and even deities hover in the posture of greeting just like a bee hovers around the nectar of louts flower. Still no Raga interpenetrates inside you, because you have prevailed the irksome illusion.)

जे जोधा जग में घणां,सिंह साथे संग्रामी हो।
तैं मन इन्द्री वश करी,जोडी केवल पामी हो।।६।।

(सिंह के साथ संग्राम करने वाले योद्धा इस जगत् में बहुत मिलेंगे ।इन्द्रिय और मन को वश में करने वाले योद्धा कम मिलेंगे।तुमने उन्हें वश में कर केवलज्ञान और केवलदर्शन को उपलब्ध कर लिया।)

(Many brave fighters can be found in this world who can fight with the lion, but the fighter who can overwhelm senses and psyche are very rare, by doing this toughest task you availed the Keval Gyan and Keval Darshan)

2. तीर्थंकर शीतल प्रभु

सूरत थांरी मन बसै साहिब जी!
शीतल जिन शिवदायका साहिब जी!

(प्रभु! तुम्हारी सूरत मन में बस रही है।)

इन्द्रिय नोइन्द्रिय आकार साहिब जी! दुर्जय नैं दुर्दात हो,निसनेही ।

तैं जित्या मन थिर करी साहिब जी! धर उपशम चित शांत हो,निसनेही।।५।।

(प्रभो! इन्द्रियां और मन प्रचण्ड, दुर्जय और दुर्दान्त है।तुमने मन को स्थिर कर उन्हें जीत लिया और उपशम भाव धारण कर चित्त को शान्त कर लिया।)

(Lord! Indriyas( Sense Organs)and Mann (Heart) are terrible, formidable and devilish. You perpetuated the Mana (Heart) and won all these and also ensoberd the Chitta by adopting the delight of Upasham.(Solace))

गणाधिपति पूज्य गुरुदेव तुलसी ने कहा - चौबीसी के पद्य कितने सुंदर हैं और इनको गानें से स्वंय आदमी तल्लीन हो जाते हैं।



Source/साभार :
herenow4u.net
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( http://www.herenow4u.net/index.php?id... )
(http://www.herenow4u.net/index.php?id...)

Audio Source : Amritvani

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