मंगल दोष कितने प्रकार के होते हैं।| मंगल दोष का उपाय।| मंगल दोष का प्रभाव।|मंगल दोष कैसे पता करे।

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मंगल दोष कितने प्रकार के होते हैं।| मंगल दोष का उपाय।|मंगल दोष का प्रभाव।|मंगल दोष कैसे पता करे।
जब भी किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह भारी होते है तब वह व्यक्ति मांगलिक कहलाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12 वें स्थान में रहते है तब वह व्यक्ति मांगलिक होता है। जो जातक मांगलिक होते हैं उनका स्वभाव गुस्सैल होता है।

अक्सर आपने अपने घर या आस पड़ोस में लोगों को यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि अमुक व्यक्ति मांगलिक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल भारी होते हैं वे मांगलिक या उनके ऊपर मंगल दोष रहता है। जन्म कुंडली के अध्ययन से कुंडली के प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव तथा द्वादश भाव में से किसी भी भाव में मंगल का होना जन्मपत्रिका को मांगलिक बना देता है। मांगलिक कुंडलियों में यदि मंगल प्रथम भाव में वृषभ या तुला राशि के हो तो ये जातक के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं ऐसा जातक क्रोधी, झगड़ालू और जिद्दी होता है अतः इस भाव से संबंधित मांगलिक दोष का विशेष ध्यान रखें।

मांगलिक का विवाह मांगलिक से ही क्यों माना जाता है शुभ
कुंडली में मंगल ग्रह के भारी होने पर जातकों पर मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है।
कुंडली में मंगल का प्रभाव अधिक होने पर ऐसे जातकों में कामुकता ज्यादा होती है।
मांगलिक व्यक्तियों में काम की इच्छा अधिक होने के कारण इनका विवाह मांगलिक से किया जाता है।
मांगलिक का विवाह मांगलिक से करने पर यह एक दूसरे की इच्छा और साथ अच्छी तरह से निभाते हैं।
कुंडली में मंगल दोष कैसे
जब भी किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह भारी होते है तब वह व्यक्ति मांगलिक कहलाता है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12 वें स्थान में रहते है तब वह व्यक्ति मांगलिक होता है।

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