Bijak sakhi(बीजक साखी) काल का स्वरूप तथा कालसर्प के जहर से कैसे बचें?

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#इस बीजक ग्रन्थ के साखी के माध्यम से सदगुरु कबीर साहेब उपदेश देते हुए कहते हैं कि कामरुपि कालसर्प प्रत्येक प्राणी के हृदय में बसते हैं।वह काला सर्प सभी लोगों को डँस रहा है। उससे बचने का एक ही उपाय है कि व्यक्ति विवेक पूर्वक राम का भजन करें।अब विचार करना है कि व्यक्ति के शरीर में बसने वाला काला सर्प कौन है? सज्जनों काम, कल्पना और अहंकार ही वह काला सर्प है।काम सारे भववंधनों की धूरि है। कामनाओं से लोभ बढ़ता है फिर कामनाएं भंग होती है तो क्रोध होता है।फलत:काम मूल में रहता है जिसके इर्द-गिर्द लोभ और क्रोध रहता है। तीनों ही भयंकर काला सर्प है।

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