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Скачать или смотреть तिल चौथ की कहानी, जानिये कैसे मनाते हैं तिल चौथ, क्या है पूजा और उद्यापन विधि

  • Xpose News
  • 2018-10-15
  • 28724
तिल चौथ की कहानी, जानिये कैसे मनाते हैं तिल चौथ, क्या है पूजा और उद्यापन विधि
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Описание к видео तिल चौथ की कहानी, जानिये कैसे मनाते हैं तिल चौथ, क्या है पूजा और उद्यापन विधि

तिल चौथ की कहानी, जानिये कैसे मनाते हैं तिल चौथ, क्या है पूजा और उद्यापन विधि
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को तिल चौथ मनाते हैं। तिल चौथ को ही सकट चौथ के नाम से जानते हैं। सकट का अर्थ होता है संकट। इस तिथि को ही भगवान गणेश ने देवी-देवताओं की मदद करके उनके संकट दूर किए थे तबसे इस दिन को संकट चौथ के नाम से जानते हैं।इस दिन भगवान गणेश और चौथ माता की पूजा होती है। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर गणेश जी को आशीर्वाद देते हुए कहा था जो भी इस दिन व्रत करेगा उसके सभी संकट दूर हो जाएंगे। भगवान गणेश को तिलकुट्टा बनाकर भोग लगाते हैं, तिल चौथ की कहानी सुनते हैं और व्रत करने वाला चांद को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलता है। प्रसाद के रुप में पहले तिलकुट्टा खाते हैं फिर भोजन करते हैं।

जानिये कैसे बनता है तिलकुट्टा .

सामाग्री- सफेद या काला तिल, गुड़ या बूरा- 125 ग्राम .
विधि- . सबसे पहले तिल को साफ करके भून लें। सफेद और काले तिल को अलग भूनें। अब मिक्सी में अलग अलग पीस लें। ध्यान रखें बहुत पतला नहीं करना है थोड़े मोटे दानें रहें तो बेहतर है। अब गुड़ को कद्दू कर करके तिल से साथ मिक्सी में पीस लें। अब मिक्सचर को बाहर निकालंगे तो इसे हाथ से गोल गोल घुमाकर लड्डू का रुप दे सकते हैं। चाहें तो गुड़ की जगह चीनी के बूरा का इस्तेमाल करें। अब आपका प्रसाद तैयार है। अब बताते हैं पूजा की विधिः

तिल चौथ पूजा की विधिः


सबसे पहले पूजा की मेज को अच्छे से धों लें। पीजा स्थल हमेशा साफ रखें औऱ पूजा के समय अच्छे से सफाई करें। मेज को धोने के बाद साफ करें और उस पर साफ कपड़ा बिछा दें। मेज पर थोड़े गेंहू के साथ गणेश भगवान की मूर्ति रखें। एक साफ लोटे में जल भरकर रख लें। अब पूजा की थाली तैयार करें। उसमें रोली, अक्षत, लच्छा, मेहंदी, गेंहू, गुड़ बनाया हुआ तिल कुट्टा व दक्षइमा के पैसे रखें। अगर चौथ बनी हो तो गेंहूं पर चौथ रखें। अगर चौथ नहीं बनी हो तो चांद का कोई सामान रख सकते हैं।

अब लोटे पर स्वास्तिक का निशान बनाएं और मेज के चारों तरफ रोली लगा लें। अब पूजा शुरु करें। गणेश जी की मूर्ति के सामने जल के छींटे से स्नान कराएं। फिर रोली का टीका लगाकर अक्षत अर्पित करें, लच्छा चढ़ाएं। इसके बाद फूल अर्पित करें। दक्षिणा के रुप में कुछ रुपए चढ़ाएं।तिलकट्टु का लड्डू चढ़ाएं। इसके बाद दिया दिखाकर भगवान गणेश का ध्यान करें। ठीक इसी प्रकार से चौथ माता की पूजा करें। फिर हाथ में तिल, गुड़ व गेंहू लेकर तिल चौथ की कहानी सुनें।



तिल चौथ की कहानी
बोलो गणेश जी महाराज की - जय !!
!!! चौथ माता की - जय !!!

तिल चौथ की कहानी सुनते हैं :-

एक शहर में देवरानी जेठानी रहती थी । जेठानी अमीर थी और देवरानी गरीब थी।

देवरानी गणेश जी की भक्त थी। देवरानी का पति जंगल से लकड़ी काट कर बेचता था और अक्सर बीमार रहता था। देवरानी जेठानी के घर का सारा काम करती और बदले में जेठानी बचा हुआ खाना, पुराने कपड़े आदि उसको दे देती थी। इसी से देवरानी का परिवार चल रहा था।

माघ महीने में देवरानी ने तिल चौथ का व्रत किया। पाँच रूपये का तिल व गुड़ लाकर तिलकुट्टा बनाया। पूजा करके तिल चौथ की कथा ( तिल चौथ की कहानी ) सुनी और तिलकुट्टा छींके में रख दिया और सोचा की चाँद उगने पर पहले तिलकुट्टा और उसके बाद ही कुछ खायेगी।



कथा सुनकर वह जेठानी के यहाँ चली गई। खाना बनाकर जेठानी के बच्चों से खाना खाने को कहा तो बच्चे बोले माँ ने व्रत किया हैं और माँ भूखी हैं। जब माँ खाना खायेगी हम भी तभी खाएंगे।

जेठजी को खाना खाने को कहा तो जेठजी बोले " मैं अकेला नही खाऊँगा , जब चाँद निकलेगा तब सब खाएंगे तभी मैं भी खाऊँगा " जेठानी ने उसे कहा कि आज तो किसी ने भी अभी तक खाना नहीं खाया तुम्हें कैसे दे दूँ ?

तुम सुबह सवेरे ही बचा हुआ खाना ले जाना। देवरानी के घर पर पति , बच्चे सब आस लगाए बैठे थे की आज तो त्यौहार हैं इसलिए कुछ पकवान आदि खाने को मिलेगा। परन्तु जब बच्चो को पता चला कि आज तो रोटी भी नहीं मिलेगी तो बच्चे रोने लगे।

उसके पति को भी बहुत गुस्सा आया कहने लगा सारा दिन काम करके भी दो रोटी नहीं ला सकती तो काम क्यों करती हो ? पति ने गुस्से में आकर पत्नी को कपड़े धोने के धोवने से मारा। धोवना हाथ से छूट गया तो पाटे से मारा।

वह बेचारी गणेश जी को याद करती हुई रोते रोते पानी पीकर सो गयी।

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