Ganpati Tantra
(Ekakshari Beej mantra Sadhana Vidhaan)
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ध्यान:
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जिनके शरीर की कांति सिंदूर के समान रक्त वर्ण है,
जो तीन नेत्रों से युक्त है,
जिनका पेट तुंदिल है,
जिन्होंने अपने कर कमलों में दाँत, पाश, अंकुश, और वर धारण किया है,
शुण्डाग्र में बीजपुर धारण करने से जो अत्यंत मनोहर प्रतीत हो रहे है।
मस्तक पर द्वितीया का चंद्र शोभित है,
मुख हाथी के समान है,
ऐवं गण्डस्थल मदजल से परिपूर्ण है,
जो नागराजों के भूषण से भूषित है।
अष्टमातृका ध्यान:
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1. ब्राह्मी = मृगचर्म से विभूषित तथा हाथों में अक्षमाला, लौहदण्ड़ एवं कुण्डिका धारण की हुई श्वेत वर्ण वाली ब्राह्मी का ध्यान करना चाहिये।
2. महेशी = त्रिशिख (तीन कलगी वाले मुकुट) से अलंकृत, हाथों में परशु डमरु एवं नृकपाल धारण की हुई चन्द्रमा के सदृश गौर वर्ण वाली कल्याणकारिणी महेशी का ध्यान करना चाहिये।
3. कौमारी = हाथों में रस्सी, खट्वाङ्ग (मूँठ पर खोपड़ी जड़ा हुआ डण्डा), दण्ड, अंकुश धारण की हुई, इन्द्रगोप के सदृश अरुण वर्ण वाली, करुणामयी कौमारी का ध्यान करना चाहिये।
4. वैष्णवी = करकमलों द्वारा अरि (पहिया), शंख (माथे अथवा कनपटी की हड्डी), कपाल एवं घण्टा को धारण की हुई, नीले मेघ के सदृश कान्तिमती वैष्णवी का ध्यान करना चाहिये।
5. इंद्राणी = तोमर (बर्छी), अंकुश, वज्नचिह्न एवं विद्युत् से समन्वित हाथों वाली, रमणीय आभूषणों से विभूषित, नीलवर्ण वाली इन्द्राणी का ध्यान करना चहिये।
6. वाराही = हाथों में हल, मुसल, खड्ग (तलवार) एवं खेटक धारण की हुई; अञ्जनपर्वत के सदृश कान्तिमती वाराही शक्ति का ध्यान करना चाहिये।
7. चामुंडा = हाथों में शूल, खेट, नृकपाल धारण की हुई, मुण्ड़ों की माला से समन्वित, रक्त वर्ण वाली चामुण्डा का स्मरण करना चाहिये।
8. महालक्ष्मी = विद्वान् साधक को हाथों में अक्षमाला, बीजपूर, कपाल एवं पद्म धारण की हुई, सुवर्ण-सदूश कान्तिमती महालक्ष्मी का स्मरण करना चाहिये।।३०-३७।।
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