Sunderkand Path Shree Ajay Yagnik ji with Lyrics | अखंड सुंदरकांड पाठ श्री अजय याग्निक जी लिरिक्स

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Sunderkand Path Shree Ajay Yagnik ji with Lyrics | अखंड सुंदरकांड पाठ श्री अजय याग्निक जी लिरिक्स हिंदी अर्थ सहित।

सुंदरकाण्ड मूलतः वाल्मीकि कृत रामायण का एक भाग (काण्ड या सोपान) है। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस तथा अन्य भाषाओं के रामायण में भी सुन्दरकाण्ड उपस्थित है। सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी द्वारा किये गये महान कार्यों का वर्णन है। रामायण पाठ में सुन्दरकाण्ड के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। सुंदरकाण्ड में हनुमान का लंका प्रस्थान, लंका दहन से लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। इस सोपान के मुख्य घटनाक्रम है – हनुमान जी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीता से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी। इसमें कुल दोहों की संख्या 60 है।


कथा:
हनुमान जी और माता सीता अशोकवाटिका में।
हनुनान जी चेत्र माह में लंका की ओर प्रस्थान किया। सुरसा ने हनुमान जी की परीक्षा ली और उसे योग्य तथा सामर्थ्यवान पाकर आशीर्वाद दिया। मार्ग में हनुमान जी ने छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वध किया और लंकिनी पर प्रहार करके लंका में प्रवेश किया। उनकी विभीषण से भेंट हुई। जब हनुमान जी अशोकवाटिका में पहुँचे तो रावण सीता को धमका रहा था। रावण के जाने पर त्रिजटा ने माता सीता को सान्त्वना दी। एकान्त होने पर हनुमान जी ने माता सीता से भेंट करके उन्हें राम की मुद्रिका दी। हनुमान जी ने अशोकवाटिका का विध्वंस करके रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर दिया। मेघनाथ हनुमान को नागपाश में बांध कर रावण की सभा में ले गया। रावण के प्रश्न के उत्तर में हनुमान ने अपना परिचय राम के दूत के रूप में दिया। रावण ने हनुमान जी की पूँछ में तेल में डूबा हुआ कपड़ा बांध कर आग लगा दिया इस पर हनुमान जी ने लंका का दहन कर दिया।

• रोज सुंदरकांड पढ़ने से क्या होता है?
जो भी जातक प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ करता है उसकी एकाग्रता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे में उसके द्वारा किए जाने वाले किसी भी काम का परिणाम हमेशा सकारात्मक ही मिलता है।

• सुंदरकांड कितने दिन पढ़ना चाहिए?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ आप 11, 21, 31, 41 दिन तक कर सकते हैं। सुंदरकांड का पाठ करने के लिए सबसे पहले हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें। ध्यान रहे कि हनुमान जी की प्रतिमा ऐसी होनी चाहिए, जिसमें प्रभु श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण की तस्वीर हो।

• सुंदरकांड का पाठ कब करना चाहिए?
यदि आप अकेले सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं तो प्रात:कालीन समय, ब्रह्म मुहूर्त में 4 से 6 बजे के बीच किया जाना चाहिए। यदि आप समूह के साथ सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं तो शाम को 7 बजे के बाद किया जा सकता है। सुंदरकांड का पाठ मंगलवार, शनिवार, पूर्णिमा और अमावस्या को करना श्रेष्ठ रहता है।

• रोज सुंदरकांड का पाठ कैसे करें?
-सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. -सुंदरकांड का पाठ करने से पहले पूजा स्थल पर रखी हनुमानजी की मूर्ति की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए. साथ ही सीता-राम की मूर्तियां भी हनुमान जी पास जरूर रखें. -हनुमानजी की पूजा फल-फूल, मिठाई और सिंदूर से करें।

• घर में सुंदरकांड कैसे करें?
सुंदरकांड का पाठ करने के नियम -
पाठ करते समय प्रतिमा स्थापित करने के बाद शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं. बजरंगबली हनुमान जी के चरणों में 7 पीपल के पत्ते अर्पित करें. इसके साथ ही उन्हें लड्डू का भोग लगाएं. उसके बाद ही सुंदरकांड का पाठ शुरू करें।

• सुंदरकांड शुरू करने से पहले क्या करना चाहिए?
-सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. -सुंदरकांड का पाठ करने से पहले पूजा स्थल पर रखी हनुमानजी की मूर्ति की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए. साथ ही सीता-राम की मूर्तियां भी हनुमान जी पास जरूर रखें. -हनुमानजी की पूजा फल-फूल, मिठाई और सिंदूर से करें!

• सुंदरकांड कितनी बार करना चाहिए?
सुंदरकाण्ड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट हो, सुंदरकाण्ड के पाठ से यह संकट तुरंत ही दूर हो जाता है। हनुमानजी के सुंदर काण्ड का पाठ सप्ताह में एक बार जरूर करना चाहिए।

• क्या महिलाएं सुंदरकांड पढ़ सकती हैं?
महिलाएं हनुमान चालीसा, संकट मोचन, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड आदि का पाठ कर सकती हैं।

• सुंदरकांड की विशेषता क्या है?
सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है. मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है. सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है. किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है!

• शनिदेव हनुमान से क्यों डरते हैं?
शनिदेव को कर्मों का हिसाब करने वाला माना जाता है। जिस भी व्यक्ति पर शनि देव की वक्र दृष्टि पड़ जाती है, उसे बहुत सारे कष्ट झेलना पड़ते हैं। पर एक सच यह भी होता है, कि हनुमान जी के आगे शनिदेव की नहीं चलती। माना जाता है, कि जो भी हनुमान जी पूजा- अर्चना सच्चे मन से करता है, शनिदेव उसका बाल भी बांका नहीं कर सकते।

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