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Скачать или смотреть अपनी फसल में ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें (Drip irrigation in india)

  • INDOISRAEL TECHNOLOGY & TIPS
  • 2020-12-18
  • 4360
अपनी फसल में ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें (Drip irrigation in india)
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Описание к видео अपनी फसल में ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें (Drip irrigation in india)

#Dripirrigation
#Miliadubiafarming
#malbarneem

ड्रिप सिंचाई क्या है?
भूमि, जल, मौसम और फसल का अध्ययन कर कम दबाव और नियंत्रण के साथ फसलों की जड़ों तक उनकी आवश्यकतानुसार एक समान पानी देना ड्रिप सिंचाई है।

इस पद्धति में भूमि में जल रिसने की गति से कम गति पर फसल की सतह या भूमि के नीचे पानी दिया जाता है। मुख्यतया पानी बूँद-बूँद या अत्यन्त पतली धान से दिया जाता है। इस पद्धति को अपनाते समय भूमि की जल ग्रहण क्षमता, क्षेत्र क्षमता, पानी रिसने की और जमीन के अन्दर से बहने की गति आदि का अध्ययन नितान्त आवश्यक है ताकि इस पद्धति का पूर्ण रूप से लाभ उठाया जा सके।

सिमका व्लास नाम के एक इजराइल के अभियन्ता ने 1940 में देखा कि पानी की टोंटी से रिसाव होने वाले स्थान के पौधों की वृद्धि उसके आसपास के पौधों की वृद्धि से अधिक थी इसके आधार पर उन्होंने 1964 में ड्रिप सिंचाई पद्धति विकसित कर उसका एकत्व रूप अर्थात पेटेंट करवाया। साठ के दशक के अन्त में ड्रिप सिंचाई पद्धति का प्रचार-प्रसार आस्ट्रेलिया संयुक्त राज्य अमेरिका एवं विश्व के अन्य विकसित देशों में हुआ। भारत में सत्तर के दशक में ड्रिप सिंचाई पद्धति से यद्यपि कृषक परिचित हो चुके थे परन्तु इसका व्यापक प्रचार-प्रसार आठवें दशक में हुआ।

ड्रिप सिंचाई से 30-80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। इस प्रकार बचे हुए जल से अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जा सकती है।

उत्पादकता एवं गुणवत्ता
परम्परागत सिंचाई पद्धति के परिणाम
फसल के अधिक विकास हेतु भूमि के अन्दर पानी एवं आवश्यक तत्वों को पत्तियों, फूल एवं फलों के उर्ध्वदाब प्रक्रिया द्वारा पहुँचाए जाते हैं। पत्तियाँ, फसल, फल-वृक्षों की अतिमहत्त्वपूर्ण अंग होती हैं। ये सूर्य प्रकाश की सहायता से फसल, वृक्ष हेतु भोजन तैयार करती हैं। भोजन निर्माण में पत्तियों की ऊपरी सतह पर स्थित सूक्ष्म छिद्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इन छिद्रों के खुलने पर ही भोजन निर्माण प्रक्रिया शुरू होती है। इन छिद्रों के बन्द हो जाने पर भोजन निर्माण क्रिया भी बन्द हो जाती है। परिणामस्वरूप वृक्ष के अन्य भागों जैसे फल, फूल आदि तक भोजन नहीं पहुँच पाता है और उनके विकास और उत्पादन की गति में कमी हो जाती है। जबकि ड्रिप सिंचाई करने से उनके विकास और उत्पादन में वृद्धि हो जाती है।

ड्रिप सिंचाई में पेड़ पौधों को प्रतिदिन जरूरी मात्रा में पानी दिया जाता है। इससे उन पर तनाव नहीं पड़ता। फलस्वरूप फसलों की बढ़त व उत्पादन दोनों में वृद्धि होती है।

ड्रिप सिंचाई में सब्जी, फल और अन्य फसलों के उत्पादन में बीस से दो सौ प्रतिशत तक वृद्धि हो जाती है। ड्रिप सिंचाई से अत्यन्त सन्तोषजनक परिणाम प्राप्त होते हैं।

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