बुटाटी धाम दर्शन🙏😍। संत श्री चतुरदास जी महाराज दर्शन। जीवनी ।

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बुटाटी धाम का इतिहास- मंदिर के संबंध में कहानी प्रचलित है। लगभग 600 साल पहले यहां चतुरदास जी नाम के संत थे। कहा जाता है कि उनके पास 500 से अधिक बीघा जमीन थी जो उन्‍होंने दान कर दी और आरोग्‍य की तपस्‍या करने चले गए। बताया जाता है कि सिद्धि प्राप्‍त करके वे आए यहां जीवित समाधि ले ली। उस स्‍थल पर ही आज मंदिर है।इंटरनेट पर मंदिर का खूब नाम है इसलिए देश ही नहीं, विदेशों से भी लोग आते हैं। नवरात्र में अमेरिका, आस्‍ट्रेलिया और अफगानिस्‍तान से भी मरीज यहां आए थे।उम्‍मीद पर दुनिया कायम है। हालातों से हारे इंसान को यह कहावत बार-बार याद आती है और इसके बूते वह दुश्‍वारियों का ज़हर पीने का माद्दा रखता है। जिंदगी का यही फलसफा राजस्‍थान के नागौर जिले में जीवंत अर्थ पाता दिखाई देता है। यहां बुटाटी धाम नाम का मंदिर है जो अपनी विशेष मान्‍यता के चलते देश भर में मशहूर हो रहा है। मान्‍यता है कि इस मंदिर में सात दिन तक आरती-परिक्रमा करने से पैरालिसिस (लकवा) के मरीजों का यह मर्ज दूर हो जाता है। चूंकि यह जनआस्‍था है इसलिए इसका प्रचार भी देशज है लेकिन है व्‍यापक और प्रभावी। यही वजह है यहां देश भर के अलावा विदेशों से भी लकवे के मरीजों को परिजन केवल माउथ पब्लिसिटी के दम पर ले आते हैं। कई लोगों का दावा है कि सात दिन बाद लकवे का असर या तो पूरी तरह खत्‍म हो गया या बहुत हद तक सुधार हुआ।मान्यता है कि लगभग पांच सौ साल पहले संत चतुरदास जी का यहाँ पर निवास था। चारण कुल में जन्में वे एक महान सिद्ध योगी थे और अपनी सिद्धियों से लकवा के रोगियों को रोगमुक्त कर देते थे। आज भी लोग लकवा से मुक्त होने के लिए इनकी समाधि पर सात फेरी लगाते हैं। यहाँ पर देश भर से प्रतिवर्ष लाखों लकवा मरीज एवं अन्य श्रद्धालु विशेष रूप से एकादशी एवं द्वादशी के दिन आते है।
Butati Dham Darshan 🙏
Butati, Nagaur. 📍😍
चतुरदास जी महाराज 🙏
लकवाग्रस्त रोगियों का मुफ्त इलाज 🙏
लकवा का उपचार और इलाज।
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