ऐसा प्यार बहा दे मईया, चरणों से लग जाऊ मैं। - हरि ओम् शरण

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भजन - ऐसा प्यार बहा दे मईया, चरणों से लग जाऊ मैं।
स्वर - हरि ओम् शरण

या देवी सर्वभूतेषु, दया-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः॥
दुर्गा दुर्गति दूर कर, मंगल कर सब काज।
मन मंदिर उज्जवल करो, कृपा करके आज॥

ऐसा प्यार बहा दे मईया, चरणों से लग जाऊँ मैं।
सब अंधकार मिटा दे मईया, दरस तेरा कर पाऊं मैं॥
ऐसा प्यार बहा दे मईया।

जग मैं आकर जग को मईया, अब तक न पहचान सका।
अब तक न पहचान सका।
क्यों आया हूँ, कहाँ है जाना, ये भी ना मैं जान सका।
ये भी ना मैं जान सका।
तू है अगम अगोचर मईया, कहो कैसे लख पाऊं मैं॥
ऐसा प्यार बहा दे मईया, चरणों से लग जाऊँ मैं।
ऐसा प्यार बहा दे मईया।

कर कृपा जगदम्ब भवानी, मैं बालक नादान हूँ।
मैं बालक नादान हूँ।
नहीं आराधन जप तप जानूं, मैं अवगुण की खान हूँ।
मैं अवगुण की खान हूँ।
दे ऐसा वरदान हे मईया।
दे ऐसा वरदान हे मईया, सुमिरन तेरा गाऊं मैं॥
ऐसा प्यार बहा दे मईया, चरणों से लग जाऊँ मैं।
ऐसा प्यार बहा दे मईया।

मैं बालक तू मईया मेरी, निष् दिन तेरी ओट है।
निष् दिन तेरी ओट है।
तेरी कृपा से ही मिटेगी, भीतर जो भी खोट है।
भीतर जो भी खोट है।
शरण लगा लो मुझको मईया।
शरण लगा लो मुझको मईया, तुझ पर बलि बलि जाऊ मैं॥

ऐसा प्यार बहा दे मईया, चरणों से लग जाऊ मैं।
ऐसा प्यार बहा दे मईया, चरणों से लग जाऊ मैं।
ऐसा प्यार बहा दे मईया, ऐसा प्यार बहा दे मईया।

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