कबीर साहेब ने मृत बालक और बालिका को जीवित किया | कमाल - कमाली की कथा | 2d Animation Sant Rampal Ji |

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script of story

एक समय की बात है। दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी को एक भयंकर जलन का रोग था। जिसका कोई समाधान नहीं था। सिकंदर लोदी ने देश के हर वेध, गुरु तथा मुल्ला काजियो से रोग के समाधान के लिए प्रीत किए थे।
अंत में सिकंदर लोदी का रोग कबीर परमेश्वर के आशीर्वाद मात्र से ठीक हो गया।
इस पर सिकंदर लोदी ने परमेश्वर कबीर साहेब से उपदेश लिया और उन्हें अपने साथ दिल्ली चलने के लिए निवेदन करने लगा। कबीर साहेब जी सिकंदर लोदी के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
रास्ते में आते वक्त शाम के समय सिकंदर लोदी की सेना ने एक नदी के किनारे पड़ाव डाला।

अगले दिन सुबह सिकंदर हर रोज की तरह अपने पीर शेखतकी को प्रणाम करने गया। क्योंकि पूरे देश के मुसलमान शेखतकी की हर बात को मानते थे और उन्ही के सेवक थे।
शेखतकी को सिकंदर लोदी के द्वारा कबीर साहेब को दिल्ली ले जाने वाली बात पसंद नही आई और वह कबीर साहेब जी से ईर्ष्या करने लगा।

S: अस्लाम वालेकुम पीर जी।
S: क्या बात है पीर जी, आप मेरे से नाराज क्यों है?
S: पीर जी, अगर मेरे से कोई गलती हुई हो तो क्षमा करना।
P: मेरी क्या जरूरत है अब तुम्हे, जा और जाकर उस जुलाहे कबीर को अपना गुरु बना ले।
S: पीर जी, कबीर साहेब ने मुझे एक नया जीवन दान दिया है। में उन्हें कैसे भुल सकता हुं।
P: हा तो जा यहां से, मेरे पास क्या लेने आया है।
S: पीर जी, आप भी समझने की कोशिश कीजिए, उन्होंने मेरा असाध्य रोग समाप्त किया है, जिसे कोई नही कर पाया। वो अल्लाह के स्वरूप है, और वही उन्होंने मेरी आंखों के सामने रामानंद जी को जीवित भी किया है।
P: अच्छा? तो अल्लाह शरीर में भी आने लगा?
S: क्यों नही पीर जी, जब ऐसे ऐसे चमत्कार उन्होंने किए है तो वो अल्लाह से कम नही है।
P: अच्छा? तो उसे बोल कर आ की वह मेरी आंखो के सामने भी कोई मुर्दा जीवित करे। तब मानूंगा में उसे अल्लाह।
वरना दिल्ली के सभी मुसलमानों को मेरा एक ही आदेश काफी है की राजा ने मुसलमान होकर हिंदू संत को अपना गुरु बना लिया।

सिकंदर लोदी धर्मसंकट में फंस गया। एक तरफ उसका राज्य तो दूसरी तरफ उसका भयंकर रोग था।
मायूस सिकंदर लोदी कबीर साहेब के पास आकर बैठ गया।

G: क्या बात है राजन, बड़े परेशान लग रहे हो। क्या समस्या आ गई?
S: आप के होते हुए आपके दास को क्या समस्या आ सकती है परवरदिगार। बस मेरे पीर जी को आप पर विश्वास नही है। और उन्होंने कहा है की में कबीर साहेब को अल्लाह तभी स्वीकार करूंगा, जब वे मेरी आंखो के सामने कोई मुर्दा जीवित करे।
हे प्रभु! अगर आप उनकी यह इच्छा समाप्त कर दो तो वे पूरे देश के मुसलमानों को भी आप के अल्लाह होने का पैगाम दे देंगे।
G: कोई बात नही राजन। इससे तो मेरा काम भी बहुत आसान हो जायेगा। आपके पीर जी को बोल दीजिए की वे कोई मुर्दा ले आए।

सिकंदर लोदी बहुत खुश हुआ और पीर जी पास पहुंचा।

S: पीर जी! कबीर साहेब जी आपकी शर्त मानने के लिए तैयार है। आप कोई मुर्दा ले आइए, कबीर साहेब उसे जीवित कर देंगे।
P: में कहा से लाऊं मुर्दा, कभी होगा तो देखेंगे। तभी चलेगा सच्चाई का पता।

सिकंदर ने सोचा ऐसे तो न जाने कब मिलेगा कोई मुर्दा, और पीर जी को बस दिल्ली पहुंचने का इंतजार है। ये जाते ही पूरी दिल्ली पलट देगा। चिंतित सिकंदर लोदी वापस कबीर साहेब के पास पहुंचा ही था की बाहर से लोगो की जोर जोर से आवाजे आने लगी की, नदी में एक मुर्दा आ रहा है।
सभी बाहर आ गए।

G: पीर जी, पहले आप भी कोशिश कीजिए। आप भी तो मुसलमान समाज के सबसे बड़े उपदेशक है। कही फिर बाद में कहो की इसे तो में भी जीवित कर देता।

S: हां पीर जी। दो जनों की शक्ति का पता तो दोनो के प्रयास करने पर ही चलेगा।

P: ये अपने सिर से बला टालना चाहता था। ताकि मुर्दा बह कर चला जाए। अरे मुर्दे ही कोई जीवित होते है? ये तो कयामत के बाद ही जीवित होंगे।

कबीर साहेब ने हाथ से मुर्दे को वापस आने जेसे संकेत किया।

G: हे जीवात्मा, तू जहां भी है, कबीर हुक्म से वापस आ और अपने इस शरीर में प्रवेश कर।

कबीर साहेब ने इतना ही कहा था कि बालक के शरीर में कम्पन हुई और वह जीवित हो गया।

सभी लोगो ने कबीर साहेब के जयकारे लगाए और कहने लगे कि कमाल कर दिया।
बालक का नाम कमाल रख दिया।

शेखतकी की तो जलन और तेज हो गई।

P: इस कबीर ने तो और ज्यादा अपनी महिमा बना ली। इसे तो दिल्ली जाकर ही देखूंगा।

बादशाह सिकंदर लोदी का काफिला दिल्ली की और रवाना हुआ।


दिल्ली पहुंचते ही शेखतकी कबीर साहेब को हराने के षड्यंत्र रचने लगा।
P: इस कबीर ने जादू जंतर से बादशाह की बुद्धि भ्रष्ट कर दी है। इसे जेसे तेसे करके रोकना ही होगा, वरना हमारा मजहब ही नही रह पाएगा।
J: हम आपके साथ है पीर जी, आप जैसा कहोगे, हम वैसा ही करेंगे।
P: इस कबीर की एक ऐसी परीक्षा लेंगे की जिसमे ये कुछ न कर पाए। वह लड़का तो क्या पता सदमे में होगा। बादशाह से कहेंगे की अगर यह मेरी बेटी को कब्र से निकलवाकर जीवित कर देता है तो हम इसे खुदा मान लेंगे।

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