लाक्षागृह में आग: श्री कृष्ण ने किया रुक्मिणी का हरण | श्री कृष्ण महाएपिसोड

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"वारणावत में बने लाक्षागृह में कुन्ती और पांचों पाण्डु पुत्र रात्रि विश्राम करते हैं। उनकी सेवा में नियुक्त दास दासी वास्तव में शकुनि के षड्यन्त्र के भागीदार है। उन्हें निर्देश दिये गये हैं कि उन्हें मध्य रात्रि तक कुन्ती और पाण्डवों की सेवा में तत्पर रहना है किन्तु जब सभी गहरी नींद में सो जाएं और मध्य रात्रि को जब उन्हें संकेत दिया जाये, वे लाक्षागृह से निकल कर दूर भाग जायें। इसके बाद लाक्षागृह में बाहर से आग लगा दी जायेगी। रसोईघर में विदुर का गुप्तचर वज्रदत्त छिपा बैठा है किन्तु उसकी असावधानीवश एक मटका गिर कर फूट जाता है। इसकी आवाज से सतर्क होकर शकुनि की चाकू से वज्रदत्त पर हमला कर देती है। घायल होकर भी वज्रदत्त दासी को मौत के घाट उतार देता है। दासी की चीख सुनकर उसके और साथी वहाँ आते हैं किन्तु वज्रदत्त और उसके साथी करके सभी को मार देते हैं। लड़ाई का शोर सुनकर भीम अपने कक्ष से बाहर निकलते हैं और वज्रदत्त को एक सेवक की हत्या करते देख लेते हैं। वह वज्रदत्त को धरती पर गिराकर उसकी जान लेने को तत्पर होते हैं। तभी कुन्ती समेत अन्य पाण्डव भी वहाँ आ जाते हैं। वज्रदत्त उन्हें बताता है कि आप लोग बहुत बड़े षड्यन्त्र का शिकार होने वाले हैं। यह महल लाख का बना है जिसे कुछ देर बाद आग लगा दी जायेगी। युधिष्ठिर वज्रदत्त से उसकी बात का प्रमाण माँगते हैं। वज्रदत्त चाकू से महल का एक स्तम्भ काट कर लाख निकालकर दिखाता है और कहता है कि यहाँ की हर दीवार लाख से बनायी गयी है। वह उन्हें महामंत्री विदुर का हस्तलिखित पत्र भी देता है। वज्रदत्त उनसे कहता है कि आप लोग ब्राह्मण वेश बनाकर सुरंग मार्ग से बाहर निकल जायें और फिर नदी पार कर हस्तिनापुर की सीमा से दूर निकल जायें अन्यथा दुर्योधन को आपके जीवित बचने की सूचना मिल गयी तो वह आपको तलाश कर मरवाने का प्रयास करेगा। आपके प्रकट होने का उचित समय आने पर विदुर जी आपको सूचित कर देंगे। वह सभी को ब्राह्मण वेश धारण करने के लिये वस्त्र देता है। सभी पाण्डव सुरंग के अन्दर प्रवेश कर जाते हैं। उधर शकुनि के आदमी लाक्षागृह में बाहर से आग लगा देते हैं। पाण्डव सुरंग मार्ग से सकुशल बाहर निकल कर नदी के तट पर पहुँचते हैं जहाँ उनके लिये नाव तैयार खड़ी है। वज्रदत्त पाण्डवों से कहता है कि आप उस पार पहाड़ी के दूसरी तरफ चले जाइयेगा। वहां पांचाल राज्य की सीमा शुरू हो जाती है। आप लोग वहाँ ब्राह्मण वेश में घूमते रहियेगा। महामंत्री विदुर जी का अगला सन्देश आपको वहीं प्राप्त हो जायेगा। लाक्षागृह की आग को लेकर वारणावत की प्रजा के बीच तमाम तरह की चर्चाएं होती है। कोई कुन्ती के दुर्भाग्य पर दुखी है तो कोई लाक्षागृह की दीवारें पिघल कर जलने पर सन्देह जताता है। जनता दुर्योधन पर शंका करती है और उसे बददुआ देती है। विदा लेने से पहले भीम और अर्जुन वज्रदत्त से विदुर काका को यह सन्देश देने को कहते हैं कि हम लोग बहुत दिन तक भिखारी के भेष में नहीं रह सकते। जल्दी ही युवराज युधिष्ठिर को उनका अधिकार लड़कर दिलाने के लिये वापस आयेंगे। युधिष्ठिर अपने अनुजों के भीतर भरे क्रोध को समझते हैं किन्तु वह वज्रदत्त को यह सब बताने से मना करते हैं और कहते हैं कि विदुर काका को इतना ही सन्देश दिया जाये कि हम उनके संकेत की प्रतीक्षा करेंगे। उधर लाक्षागृह की राख में उन पाँच दासों और एक दासी के कंकाल मिलते हैं जिन्हें वज्रदत्त ने मार दिया था। प्रजा इसे कुन्ती और पाण्डवों के कंकाल समझती है। नाव में कुन्ती भगवान श्रीकृष्ण को हाथ जोड़कर सभी से उनका आभार मानने को कहती हैं। वह कहती हैं कि जीवन और मृत्यु के वही स्वामी हैं। उनकी इच्छा के बिना कोई भी हमारी सहायता नहीं कर सकता था। हस्तिनापुर के राजमहल में शकुनि विलाप करने का नाटक करता हुआ धृतराष्ट्र और गांधारी के समक्ष पहुँचता है और वारणावत के महल में कुन्ती व पांच पाण्डवों के जलकर मर जाने का समाचार देता है। गांधारी पाण्डवों की इतनी दर्दनाक तरह से मौत होने की बात सुनकर मूर्च्छित हो जाती है।

श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी 2020 में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर किया जा रहा है, TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा।

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