WHAT IS IVF ICSI ..?आईसीएसआई एक प्रकार का आईवीएफ है।

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आईसीएसआई एक प्रकार का आईवीएफ है। पारंपरिक आईवीएफ में, आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता प्रयोगशाला की डिश पर अंडे के बगल में हजारों शुक्राणु रखता है। शुक्राणुओं में से कोई एक अंडे को निषेचित करने के लिए उसमें प्रवेश करता है या नहीं, यह संयोग पर छोड़ दिया जाता है।

आईसीएसआई क्या है (ICSI Kya Hai)? आईसीएसआई पुरुष निःसंतानता के उपचार का सबसे सफल तरीका माना जाता है। जानिए आईसीएसआई का मतलब क्या होता है
..........क्या होता है आईसीएसआई में
आईसीएसआई को आईवीएफ प्रक्रिया से बेहतर माना जाता है। आईसीएसआई में महिला के अण्डाशय में हर महीने सामान्य रूप से बनने वाले अण्डों से अधिक संख्या में अण्डे बनाए जाते हैं इसके लिए महिला को दवाइयां और इंजेक्शन दिये जाते हैं। इस प्रोसेस में करीब 10 से 12 दिन का समय लगता है जब अण्डे बन जाते हैं तो उनको महिला के शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है और लैब में रख दिया जाता है इसके बाद पुरूष साथी के वीर्य के सेम्पल में से हैल्दी स्पर्म को छांटकर महिला के प्रत्येक अण्डे में एक शुक्राणु को इंजेक्ट किया जाता है। चूंकि एक अण्डे में एक शुक्राणु को छोड़ा जाता है इसलिए फर्टिलाइेजशन की संभावना ज्यादा होती है। आईसीएसआई उपचार से बने भ्रूण के विकास को चार-पांच दिन तक देखा जाता है और इन भ्रूणों में से श्रेष्ठ भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानान्तरित किया जाता है। भ्रूण ट्रांसफर होने के दो सप्ताह बाद बीटा एचसीजी टेस्ट के माध्यम से प्रेगनेंसी को सुनिश्चित किया जाता है हालांकि महिला को प्रेगनेंसी के लक्षण सप्ताह भर बाद से ही महसूस होने लगते हैं।

कौन अपना सकता है इक्सी
पुरूषों को लगता है कि पिता बनने के लिए कुछ शुक्राणु काफी होते हैं लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वीर्य के प्रति एम एल में 15 मीलियन से अधिक शुक्राणुओं को नोर्मल माना गया है। 15 मीलियन प्रति एम एल से कम होने पर नेचुरली कंसीव करने में प्रोब्लम हो सकती है। इक्सी तकनीक के आविष्कार से पहले कम शुक्राणुओं की स्थिति में डोनर स्पर्म का सहारा लेना पड़ता था लेकिन आज के समय में बहुत ही कम शुक्राणु यानि वीर्य में 1 से 5 मीलियन प्रति एमएल होने पर भी अपने शुक्राणुओं से पिता बना जा सकता है। 5 से 10 मिलियन प्रति एम एल की स्थिति में आईवीएफ तकनीक का सुझाव दिया जाता है। वे पुरूष जिनके शुक्राणुओं की संख्या, आकार, गति में कमी हो, वीर्य में मृत शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा हो, शून्य शुक्राणु एवं जिनके स्पर्म बनते तो हैं लेकिन बाहर नहीं आ पाते हैं वे आईसीएसआई उपचार को अपना सकते हैं।

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