भारतीय साहित्याकाश के चंद्र अर्थात् भारतेंदु हरिश्चंद्र का एक दोहा आज निज भाषा की उन्नति का मूल मंत्र बन गया है --
निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति के मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय के शूल।।
इस मां हिन्दी चैनल पर आधुनिक हिंदी के पितामह महाकवि भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है। हिंदी साहित्य के इतिहास में 1850 से 1900 ई. के कालखंड को भारतेंदु युग के नाम से जाना जाता है। भारतेंदु से ही हिंदी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारंभ माना जाता है। ऐसे महान कविवर जिन्होंने मां हिन्दी को अनमोल साहित्य-रत्न दिया उनके चरणों में हम कोटि-कोटि नमन करते हैं।
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मौलिक नाटक---
वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (१८७३ई., प्रहसन)
सत्य हरिश्चन्द्र (१८७५,नाटक)
श्री चंद्रावली (१८७६, नाटिका)
विषस्य विषमौषधम् (१८७६, भाण)
भारत दुर्दशा (१८८०, ब्रजरत्नदास के अनुसार १८७६, नाट्य रासक),
नीलदेवी (१८८१, ऐतिहासिक गीति रूपक)।
अंधेर नगरी (१८८१, प्रहसन)
प्रेमजोगिनी (१८७५, प्रथम अंक में चार गर्भांक, नाटिका)
सती प्रताप (१८८३,अपूर्ण, केवल चार दृश्य, गीतिरूपक, बाबू राधाकृष्णदास ने पूर्ण किया)
अनूदित नाट्य रचनाएँ----
विद्यासुन्दर (१८६८,नाटक, संस्कृत 'चौरपंचाशिका’ के यतीन्द्रमोहन ठाकुर कृत बँगला संस्करण का हिंदी अनुवाद)
पाखण्ड विडम्बन (कृष्ण मिश्र कृत ‘प्रबोधचंद्रोदय’ नाटक के तृतीय अंक का अनुवाद)
धनंजय विजय (१८७३, व्यायोग, कांचन कवि कृत संस्कृत नाटक का अनुवाद)
कर्पूर मंजरी (१८७५, सट्टक, राजशेखर कवि कृत प्राकृत नाटक का अनुवाद)
भारत जननी (१८७७,नाट्यगीत, बंगला की 'भारतमाता'के हिंदी अनुवाद पर आधारित)
मुद्राराक्षस (१८७८, विशाखदत्त के संस्कृत नाटक का अनुवाद)
दुर्लभ बंधु (१८८०, शेक्सपियर के ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ का अनुवाद)
निबंध संग्रह---
नाटक
कालचक्र (जर्नल)
लेवी प्राण लेवी
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?
कश्मीर कुसुम
जातीय संगीत
संगीत सार
हिंदी भाषा
स्वर्ग में विचार सभा
काव्यकृतियां----
भक्तसर्वस्व (1870)
प्रेममालिका (१८७१),
प्रेम माधुरी (१८७५),
प्रेम-तरंग (१८७७),
उत्तरार्द्ध भक्तमाल (१८७६-७७),
प्रेम-प्रलाप (१८७७),
होली (१८७९),
मधु मुकुल (१८८१),
राग-संग्रह (१८८०),
वर्षा-विनोद (१८८०),
विनय प्रेम पचासा (१८८१),
फूलों का गुच्छा- खड़ीबोली काव्य (१८८२)
प्रेम फुलवारी (१८८३)
कृष्णचरित्र (१८८३)
दानलीला
तन्मय लीला
नये ज़माने की मुकरी
सुमनांजलि
बन्दर सभा (हास्य व्यंग्य)
बकरी विलाप (हास्य व्यंग्य)
कहानी--
अद्भुत अपूर्व स्वप्न
यात्रा वृत्तान्त--
सरयूपार की यात्रा
लखनऊ
आत्मकथा--
एक कहानी- कुछ आपबीती, कुछ जगबीती
उपन्यास--
पूर्णप्रकाश
चन्द्रप्रभा
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