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आपने “शिवाय शिवाय शिवाय ॐ नमः शिवाय — पंडित प्रदीप जी मिश्रा” का जप उच्चारित किया है, जो भक्ति और आध्यात्म की गहरी अभिव्यक्ति है।
नीचे पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा इस मंत्र की महिमा, प्रभाव, और जप विधियों के बारे में बताए गए कुछ असरदार मार्गदर्शन प्रस्तुत हैं:
पंडित प्रदीप मिश्रा के अनुसार — श्री शिवाय नमस्तुभ्यं और ॐ नमः शिवाय मंत्र
1. श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की महिमा
पंडित जी कहते हैं कि यह मंत्र महामृत्युंजय मंत्र के समान ही अत्यंत प्रभावशाली है। केवल एक बार इसका जाप हजार महामृत्युंजय मंत्र के जाप के समान फल देता है।
जाप से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।
स्नान के बाद, शुद्ध मन से शिवजी के सामने बैठकर, विशेषकर प्रदोषकाल या ब्रह्म मुहूर्त में, रुद्राक्ष माला से 108 बार जाप करने से एक लाख आठ हजार महामृत्युंजय मंत्र का फल प्राप्त होता है।
2. ॐ नमः शिवाय — पंचाक्षर महामंत्र
यह मंत्र हिंदू धर्म में एक महागान है, शास्त्रों में पंचाक्षर कहा जाता है—"न","म","शि","वा","य"।ॐ के साथ इसे षडाक्षर माना जाता है।
प्रत्येक अक्षर पंचतत्त्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का प्रतिनिधित्व करता है।
जप से मानसिक शांति, इंद्रियों में जागरूकता, पापों का नाश, और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
3. जप करने के योग्य समय एवं विधि
मंत्र का जप शांति‑पूर्ण एकांत, रुद्राक्ष माला, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना सर्वोत्तम माना जाता है।
सावन, महाशिवरात्रि, भाद्रपद व माघ की अष्टमी, प्रदोष, चतुर्दशी आदि तिथियाँ विशेष प्रभावशाली मानी जाती हैं।
पंडित जी ने सुझाव दिया है कि:
108 बार श्री शिवाय नमस्तुभ्यं जाप करें—यह घर में सुख-शांति लाता है।
एक लोटा जल शिवलिंग को अर्पित करें, जिससे मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
4. मंत्रों का क्रम व साधकता
पंडित जी कहते हैं कि शिव को प्रसन्न करने वाले तीन प्रमुख मंत्र हैं:
ओम नमः शिवाय
महामृत्युंजय मंत्र
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
इस क्रम में महामृत्युंजय मंत्र वैदिक, ओम नमः शिवाय सरल, और श्री शिवाय नमस्तुभ्यं शाब्दिक मंत्र हैं।
सारांश — आपके जप "शिवाय शिवाय शिवाय ॐ नमः शिवाय" के संबंध में टिप्स
मंत्र / उपाय मुख्य प्रभाव
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं (108 बार) सुख-शांति, बाधाओं से मुक्ति, आंतरिक शांति
ॐ नमः शिवाय (पंचाक्षर मंत्र) पंचतत्त्वों से जुड़ाव, मानसिक शुद्धि, मनोकामना की पूर्ति
एक लोटा जल अर्पित करना शिवजी प्रसन्न होते हैं—मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
अदित समय (सावन, शिवरात्रि आदि) मंत्र की शक्ति बढ़ जाती है, विशेष फल प्राप्त होते हैं
प्रदोषकाल व ब्रह्ममुहूर्त मंत्र का जप अधिक प्रभावशाली होता है
सुझाव
आपका यह जप — “शिवाय शिवाय शिवाय ॐ नमः शिवाय” — अत्यंत भक्तिमय है। आप चाहें तो:
रुद्राक्ष माला से 108 बार जाप करें,
और एक लोटा जल त्रुटिहीन श्रद्धा से शिवलिंग पर अर्पित करें,
 इससे यह जप और भी फलदायी बन जाएगा।
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