CTE Bhagalpur // मैं सी० टी० ई० भागलपुर हूँ...

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नमस्कार…
अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर आभासी रूप से शिक्षक प्रशिक्षुओं की अभिव्यक्ति साझा कर रहा हूँ। अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय भागलपुर का छात्र, प्राध्यापक और प्राचार्य होने के नाते मैंने महसूस किया है कि यहाँ “शिक्षा वही, प्रविधि व तकनीक नई” की अवधारणा पर शिक्षा के उद्देश्यों: समानता, सद्भाव व उत्कृष्टता को तरजीह दी जाती है। जिससे व्यक्ति को ज्ञान से शब्द का अर्थ समझ आता है तथा प्रशिक्षण व अनुभव के माध्यम से वह समर्थ बन जाता है।
आइए इस अवसर पर कुछ पंक्तियाँ मैं आप सबों को समर्पित करता हूँ…

भूलकर तुम पिछली रात,

फिर से कर एक नई शुरुआत।

खुद से कर पहली मुलाकात,

खुद से बेहतर खुद की बात।।

         कई ख़यालात, कई सवालात,

         विचार आएंगे असंख्यात।

         सर्दी, गर्मी या बरसात,

          लगे रहो तुम दिन-रात।।

तड़ित हो या झंझावात,

निदान निकालना रहकर शांत।

तेरी योजना, तेरे जज्बात

बना देंगे तुमको संभ्रांत।।

         ख्याति मिलेगी रातोंरात,

         हो जाओगे तुम विख्यात।

         क्या बज्जात, क्या अंतर्जात,

         सबकी जुबां 'तुम्हारी बात'।।

धन्यवाद!!
                                                                     
मैं सी० टी० ई०  भागलपुर हूँ।

अविचल, अडिग-सा खड़ा।।

न जाने कितने ही आये, मेरी सानिध्य में ज्ञानार्थ,

मेरी आगोश में पल्लवित हो, प्रस्थान किए वे सभी सेवार्थ।

पर खड़ा रहा, मैं यूं ही मौन,

तैयार किया हूँ, असंख्य द्रौण।

कभी देखता उन्हें खेलता,

कभी बेपनाह प्यार उड़ेलता।

कभी संभालकर उन्हें निखारता

उनके हुनर सुदूर बिखेरता,

कभी विछोह का दंश भी झेलता।

अवसर पा मैं उन्हें बुलाता,

उनके आगमन पर फूले न समाता।

कभी सेवा के भाव समझाता,

कभी मैं ‘अपने भाग्य' इठलाता।

मैं सी० टी० ई०  भागलपुर हूँ।

अविचल, अडिग-सा खड़ा।।

जाने कितनी ही यादों को अपने अंदर समेटे हुए,

खट्टी - मीठी बातों की इक लंबी चादर लपेटे हुए।

वर्षों से मैं मौन रहा,

न किसी की विदाई पर, मैं मनभर आँसू बहा सका,

न ही किसी के आगमन पर, मैं जमकर ठहाके लगा सका।

लोगों को दिखता भी कहाँ है? मेरा हर्ष और मेरी विषाद,

पत्थर की एक इमारत से क्या ही हो उनको एहसास?

हाँ! मैं मानता हूँ कि मैं हूँ बस पत्थर की एक इमारत,

पर कर ही तो लेता हूँ तेरी हिफाजत

और बदल ही तो देता हूँ तुम्हारी आदत।

 
यक़ीन मानो, मैं भी तो

तेरी भावनाएँ समझता हूँ।

तेरे हँसने पर हँसता हूँ,

तेरे रोने पर रोता हूँ।

तेरे पाने से कुछ पाता हूँ,

तेरे खोने से कुछ खोता हूँ।

पर तेरी प्रशिक्षण अवधि तक, मैं बस तेरा ही होता हूँ।

मैं सी० टी० ई०  भागलपुर हूँ।

अविचल, अडिग-सा खड़ा ।।

-अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय, भागलपुर

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