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Скачать или смотреть Genhun ki nai kisam | गेहूं की नई वैरायटी । गेहूं की ज्यादा पैदावार वाली किस्म ।

  • The Ram Milan
  • 2022-11-10
  • 859
Genhun ki nai kisam | गेहूं की नई वैरायटी । गेहूं की ज्यादा पैदावार  वाली किस्म ।
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Описание к видео Genhun ki nai kisam | गेहूं की नई वैरायटी । गेहूं की ज्यादा पैदावार वाली किस्म ।

Wheat (गेहूं)

गेहूँ मध्य पूर्व के लेवांत क्षेत्र से आई एक घास है, जिसकी खेती दुनिया भर में की जाती है। विश्व भर में, भोजन के लिए उगाई जाने वाली धान्य फसलों मे मक्का के बाद गेहूं दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाले फसल है, गेहूँ की उपज लगातार बढ रही है। यह वृध्दि गेहूँ की उन्नत किस्मों तथा वैज्ञानिक विधियों से हो रही है। भारत गेहूं का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है केरल, मणिपुर व नागालैंड राज्यों को छोड़ कर अन्य सभी राज्यों में इस की खेती की जाती है उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व पंजाब सर्वाधिक रकबे में गेहूं की पैदावार करने वाले राज्य हैं।

यह प्रोटीन, विटामिन और कार्बोहाइड्रेटस का प्रमुख स्त्रोत है और संतुलित भोजन प्रदान करता है। रूस, अमरीका और चीन के बाद भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा गेहूं का उत्पादक है। विश्व में पैदा होने वाली गेंहूं की पैदावार में भारत का योगदान 8.7 फीसदी है।
Seed Specification
बुआई का समय, तरीका एवं बीज की मात्रा

1. असिंचित(Unirrigated): असिंचित गेहूँ ही बुआई का समय 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर है इस अवधि में बुआई तभी संभव है जब सितम्बर माह में पर्याप्त वर्षा हो जाती हैं। इससे भूमि में आवश्यक नमी बनी रहती हैं। यदि बोये जाने वाले बीज के हजार दानों (1000 दानों) का वजन 38 ग्राम है तो 100 किलो प्रति हेक्टेयर बीज प्रयोग करें। हजार दानों का वजन 38 ग्राम से अधिक होने पर प्रति ग्राम 2 किलो प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा बढ़ा दें।

3. सिंचित एवं देर से बोनी हेतु: पिछैती बोनी जिसमें दिसम्बर का पखवाड़ा उत्तम हैं। 15 से 20 दिसम्बर तक पिछैती बोनी अवश्य पूरी कर लेना चाहिये। पिछैती बुवाई में औसतन 125 किलो बीज प्रति हे. के हिसाब से बोना उपयुक्त रहेगा (देर से बोनी के लिये हर किस्म के बीज की मात्रा 25 प्रतिशत बढ़ा दें) तथा कतार की दूरी 18 से.मी. रखें।

बीज उपचार

बुवाई से पूर्व बीज को टेबुकोनाज़ोल 2% डी.एस. या थिरम 2 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।
Land Preparation & Soil Health
भूमि

गेहूं की अच्छे उत्पादन के लिए मटियार दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है, किन्तु यदि पौधों को सन्तुलित मात्रा में पोषण देने वाली पर्याप्त खाद दी जाए व सिंचाई आदि की व्यवस्था अच्छी हो तो हलकी भूमि से भी पैदावार ली जा सकती है। क्षारीय एवं खारी भूमि गेहूं की खेती के लिए अच्छी नहीं होती है। जिस भूमि में पानी भर जाता हो, वहां भी गेहूं की खेती नहीं करनी चाहिए।

खेत की तैयारी

पिछली फसल की कटाई के बाद खेत की अच्छे तरीके से ट्रैक्टर की मदद से जोताई की जानी चाहिए। खेत को आमतौर पर ट्रैक्टर के साथ तवियां जोड़कर जोता जाता है और उसके बाद दो या तीन बार हल से जोताई की जाती है। खेत की मिट्टी को बारीक और भुरभुरी करने के लिए गहरी जुताई करनी चाहिए। खेत की जोताई शाम के समय की जानी चाहिए और रोपाई की गई ज़मीन को पूरी रात खुला छोड़ देना चाहिए ताकि वह ओस की बूंदों से नमी सोख सके।

खाद एवं रासायनिक खाद

गेहूँ की खेती में बुवाई से पूर्व खेत तैयार करते समय वर्मी कम्पोस्ट या हरी खाद का प्रयोग करने से उप्तादन में वृद्धि होती है। रासायनिक उर्वरक में यूरिया 110 कि.ग्रा., डी.ए.पी. 55 कि.ग्रा., पोटाश 20 कि. ग्रा. प्रति एकड़ की दर से प्रयोग कर सकते है। ध्यान रहे रासायनिक उर्वरक मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही प्रयोग में लाये।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण

गेहूँ की फसल में सकरी और चौड़ी पत्ती के खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक खरपतवारनाशक Clodinafop Propargyl 15% + Metsulfuron Methyl 1% WP 160 ग्राम /एकड़ में छिड़काव करना चाहिए। या चौड़े पत्तों वाले खरपतवार की रोकथाम के लिए 2,4-D 250 मि.ली. को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रयोग करें।

सिंचाई

गेहूँ की बौनी किस्मों को 30-35 हेक्टेयर से.मी. और देशी किस्मों को 15-20 हेक्टेयर से.मी. पानी की कुल आवश्यकता होती है। उपलब्ध जल के अनुसार गेहूँ में सिंचाई क्यारियाँ बनाकर करनी चाहिये। प्रथम सिंचाई में औसतन 5 सेमी. तथा बाद की सिंचाईयों में 7.5 सेमी. पानी देना चाहिए। सिंचाईयों की संख्या और पानी की मात्रा मृदा के प्रकार, वायुमण्डल का तापक्रम तथा बोई गई किस्म पर निर्भर करती है। फसल अवधि की कुछ विशेष क्रान्तिक अवस्थाओं पर बौनी किस्मों में सिंचाई करना आवश्यक होता है।

गेहूँ की खेती में सिंचाई

पहली सिंचाई बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद दी जानी चाहिए।
बुवाई के 40 से 45 दिन बाद दूसरी सिंचाई करनी चाहिए।
बुवाई के 60 से 65 दिन बाद 3 सिंचाई।
बुवाई के 80 से 85 दिन बाद 4 सिंचाई करें।
बुवाई के 100 से 105 दिन बाद 5 वीं सिंचाई करें।
बुआई के 105 से 120 दिन बाद 6 वीं सिंचाई करें।
Harvesting & Storage
कटाई

जब गेहूँ के पौधे पीले पड़ जाये तथा बालियां सूख जाये तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिये| जब दानों में 15 से 20 प्रतिशत नमी हो तो कटाई का उचित समय होता है| कटाई के पश्चात् फसल को 3 से 4 दिन सूखाना चाहिये। इसके बाद गेहूँ की आधुनिक यंत्रो जैसे ट्रैक्टर चलित थ्रेशर या बैलों द्वारा गहाई कर सकते है।

उपज एवं भंडारण

उन्नत तकनीक से खेती करने पर सिंचित अवस्था में गेहूँ की बौनी किस्मो से लगभग 50-60 क्विंटल दाना के अलावा 80-90 क्विंटल भूसा/हेक्टेयर प्राप्त होता है। जबकि देशी लम्बी किस्मों से इसकी लगभग आधी उपज प्राप्त होती है। देशी किस्मो से असिंचित अवस्था में 15-20 क्विंटल प्रति/हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है। सुरक्षित भंडारण हेतु दानों में 10-12% से अधिक नमी नहीं होना चाहिए। भंडारण के पूर्ण कठियों तथा कमरो को साफ कर लें और दीवालों व फर्श पर मैलाथियान 50% के घोल को 3 लीटर प्रति 100 वर्गमीटर की दर से छिड़कें। अनाज को बुखारी, कोठिलों या कमरे में रखने के बाद एल्युमिनियम फास्फाइड 3 ग्राम की दो गोली प्रति टन की दर से रखकर बंद कर देना चाहिए।

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