जयपुर स्थित श्री खोले के हनुमान जी मंदिर दर्शन यात्रा। 4K । दर्शन 🙏

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भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन... राजस्थान की राजधानी जयपुर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। शहर में स्थित गोविंददेव जी मंदिर, गलता तीर्थ, मोती डूंगरी गणेश जी और लक्ष्मीनारायण मंदिर जैसे अनोकों मंदिर जयपुर शहर को धार्मिक नगरी बनाते हैं। उसी तरह जयपुर शहर को महिमामंडित करनेवाला एक खोले के हनुमान मंदिर भी है।

मंदिर के बारे में:
भक्तों खोले के हनुमान जी लक्ष्मण डुंगरी, दिल्ली बाईपास, जयपुर में स्थित सर्वाधिक प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि कुछ सदियों पहले, बाबा निर्मल दास ने उसी स्थान पर हनुमान जी की साधना की थी। इस क्षेत्र को नरवर दास की खोल भी कहा जाता था। यह मंदिर प्राचीन दुर्ग शैली में बना है। सबसे खास बात यह है कि मंदिर के द्वार का मॉडल सांगानेरी गेट जैसा है, द्वार के दोनो ओर गोल बुर्ज, चौड़ी सड़क, पेड़ पौधों की सवाजट, नियमित अंतराल के बाद सुंदर रोड लाईटें, मेटल की ये खूबसूरत लाईटें हैं। मार्ग के बीचोबीच लाल पत्थरों से बनी छतरियां और बारादरियां देखते ही बनती हैं।

मंदिर का इतिहास:
भक्तों खोले के मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि पहाड़ियों की खोह, बहते नालों और जंगली जानवरों के डर से इस निर्जन स्थान में 60 के दशक तक शहरवासी यहां का रूख नहीं करते थे। 1961 में पंडित राधेलाल चौबे नामक एक साहसी ब्राह्मण इस निर्जन स्थान पर आए तो उन्हे लेटे हुए हनुमानजी की विशाल मूर्ति मिली। पंडित राधेलाल चौबे तत्क्षण हनुमान जी की सेवा पूजा करनी आरंभ की और अंतिम समय तक ये जगह छोडकर कहीं नहीं गए। यहीं रहकर हनुमान जी की साधना आराधना करते रहे। 1961 में पंडित राधेलाल चौबे ने मंदिर के विकास के लिए नरवर आश्रम सेवा समिति की स्थापना की। तथा अपनी निष्ठा, भक्ति और अथक परिश्रम से उन्होने इस निर्जन स्थान को सुरम्य व दर्शनीय स्थल बना दिया।

मंदिर का नाम:
भक्तों यह स्थान कभी बियावान और निर्जन था। तब पहाड़ों की खोह का बरसाती पानी खोले के रूप में यहाँ बहता था। इसीलिए मंदिर का नाम खोले के हनुमानजी पड़ गया।

मान्यता:
भक्तों जयपुर के नके जीवन में किसी प्रकार का कोई भी कष्ट नहीं आता। उनके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। इसलिए यहाँ शनिवार के दिन बहुत दूर दूर से भक्त यहाँ आकर हनुमान जी की पूजा अर्चना करते हैं तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

मंदिर का प्रबंधन:
भक्तों इस मंदिर का प्रबंधन का कार्य नरवर आश्रम सेवा समिति संभालती है। जिसे वर्ष 1961 में पंडित राधेलाल चौबे जी ने मंदिर के सर्वांगीण विकास हेतु स्थापित किया था। अब इस समिति में पंडित राधेलाल चौबे जी तथा उनके विश्वासपात्र लोग इस समिति के माध्यम से मंदिर को विश्वस्तर का रमणीक स्थल बनाने, इसे भव्यता प्रदान करने में तन मन धन से जुटे हैं।

भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏

इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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