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पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (Environment (Protection) Act, 1986)
पर्यावरण के संरक्षण और सुधार का और उनसे सम्बन्धित विषयों का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय पर्यावरण सम्मेलन में, जो जून, 1972 में स्टाकहोम में हुआ था और जिसमें भारत ने भाग लिया था, यह विनिश्चय किया गया था कि मानवीय पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये समुचित कदम उठाए जाएँ;
यह आवश्यक समझा गया है कि पूर्वोक्त निर्णयों को, जहाँ तक उनका सम्बन्ध पर्यावरण संरक्षण और सुधार से तथा मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों और सम्पत्ति को होने वाले परिसंकट के निवारण से है, लागू किया जाये;
भारत गणराज्य के सैंतीसवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-
अध्याय 1
प्रारम्भिक
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ
(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 है।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस अधिनियम के भिन्न-भिन्न उपबन्धों के लिये और भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिये भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी।
2. परिभाषाएँ
इस अधिनियम में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -
(क) “पर्यावरण” के अन्तर्गत जल, वायु और भूमि हैं और वह अन्तरसम्बन्ध है जो जल, वायु और भूमि तथा मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों और सूक्ष्मजीव और सम्पत्ति के बीच विद्यमान है;
(ख) “पर्यावरण प्रदूषक” से ऐसा ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ अभिप्रेत है जो ऐसी सान्द्रता में विद्यमान है जो पर्यावरण के लिये क्षतिकर हो सकता है या जिसका क्षतिकर होना सम्भाव्य है;
(ग) “पर्यावरण प्रदूषण” से पर्यावरण में पर्यावरण प्रदूषकों का विद्यमान होना अभिप्रेत है;
(घ) किसी पदार्थ के सम्बन्ध में, “हथालना” से ऐसे पदार्थ का विनिर्माण, प्रसंस्करण, अभिक्रियान्वयन, पैकेज, भण्डारकरण, परिवहन, उपयोग, संग्रहण, विनाश, सम्परिवर्तन, विक्रय के लिये प्रस्थापना, अन्तरण या वैसी ही संक्रिया अभिप्रेत है;
(ङ) “परिसंकटमय पदार्थ” से ऐसा पदार्थ या निर्मिति अभिप्रेत है जो अपने रासायनिक या भौतिक-रासायनिक गुणों के या हथालने के कारण मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों, सूक्ष्मजीव, सम्पत्ति या पर्यावरण को अपहानि कारित कर सकती है;
(च) किसी कारखाने या परिसर के सम्बन्ध में , “अधिष्ठाता” से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसका कारखाने या परिसर के कामकाज पर नियंत्रण है और किसी पदार्थ के सम्बन्ध में ऐसा व्यक्ति इसके अन्तर्गत है जिसके कब्जे में वह पदार्थ भी है;
(छ) “विहित” से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है।
अध्याय 2
केन्द्रीय सरकार की साधारण शक्तियाँ
3. केन्द्रीय सरकार की पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये उपाय करने की शक्ति
(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार को ऐसे सभी उपाय करने की शक्ति होगी जो वह पर्यावरण के संरक्षण और उसकी क्वालिटी में सुधार करने तथा पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये आवश्यक समझे।
(2) विशिष्टतया और उपधारा (1) के उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे उपायों के अन्तर्गत निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के सम्बन्ध में उपाय हो सकेंगे, अर्थात:-
(i) राज्य सरकारों, अधिकारियों और अन्य प्राधिकरणों की, -
(क) इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन; या
(ख) इस अधिनियम के उद्देश्यों से सम्बन्धित तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन, कार्रवाइयों का समन्वय;
(ii) पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसको निष्पादित करना;
(iii) पर्यावरण के विभिन्न आयामों के सम्बन्ध में उसकी क्वालिटी के लिये मानक अधिकथित करना;
(iv) विभिन्न स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निस्सारण के मानक अधिकथित करना:
परन्तु ऐसे स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निस्सारण की क्वालिटी या सम्मिश्रण को ध्यान में रखते हुए, भिन्न-भिन्न स्रोतों से उत्सर्जन या निस्सारण के लिये इस खण्ड के अधीन भिन्न-भिन्न मानक अधिकथित किये जा सकेंगे;
(अ) उन क्षेत्रों का निर्बन्धन जिनमें कोई उद्योग, संक्रियाएँ या प्रसंस्करण या किसी वर्ग के उद्योग, संक्रियाएँ या प्रसंस्करण नहीं चलाए जाएँगे या कुछ रक्षोपायों के अधीन रहते हुए चलाए जाएँगे;
(vi) ऐसी दुर्घटनाओं के निवारण के लिये प्रक्रिया और रक्षेपाय अधिकथित करना जिनसे पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है और ऐसी दुर्घटनाओं के लिये उपचारी उपाय अधिकथित करना;
(vii) परिसंकटमय पदार्थों को हथालने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय अधिकथित करना;
(viii) ऐसी विनिर्माण प्रक्रियाओं, सामग्री और पदार्थ की परीक्षा करना जिनसे पर्यावरण प्रदूषण होने की सम्भावना है;
(ix) पर्यावरण प्रदूषण की समस्याओं के सम्बन्ध में अन्वेषण और अनुसन्धान करना और प्रायोजित करना;
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