शाही लकड़हारा भाग 2 | Shahi Lakadhara | पंडित विष्णुदत्त की गज़ब अदाकारी | Full Haryanvi Saang Ragni

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Area : Pahrawar Gaushala Rohtak
Category : Latest Haryanvi Saang Ragni
Title : Shahi Lakadhara Haryanvi Sang
Song : Shahi Lakadhara Bhag 2 Full Saang
Singer : Pandit Vishnu Dutt and Party
Lyrics : Surya Kavi Pandit Lakhmichand Ji
Music : LIVE
Camera & Editing : Studio Star Team
Label : Studio Star Music
Copyrights : Shree Ram Music Reg.

Digital Work : Sandeep Dada
Offline Work : Anil Sharma,
Studio Star Owner :- Sonu Kaushik - Gotam Sharma
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Aashirwad : Guru Pandit Murari Lal Ji, Balaji Dham Samchana,
Guru Pandit Chiranji Lal Ji Balaji Dham Gawalra

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Shahi Lakadhara Story :-
शाही लकड़हारा साग पंडित लक्ष्मीचंद द्वारा लिखा गया था। जोधपुर (राजस्थान) शहर का जोधानाथ राजा होता था, जिसकी रानी रुकमणि देवी थी। एक दिन दोनों में रात को जंगल में किस जानवर की आवाज थी। रानी कहती है कि गीदड़ की आवाज थी तो राजा शेर की आवाज बताते है। इस बात को लेकर दोनों में शर्ते लग जाती है। संयोग वंश यह होता है कि रात को गीदड़ की आवाज थी। इस बात का रानी को पता लगता है तो वह इस बात को अपने अंदर छुपा लेती है। शर्ते के अनुसार राजा अगर शर्ते हारता है तो उसे 12 साल तक वन में रहना होगा। राजा के वनवास जाने से राज पाठ सुना हो जाता। रानी शर्ते जीतने के बाद भी प्रजाहित के लिए 12 साल के लिए वनवास के लिए चल जाती है। जिस समय रानी वनवास के लिए गई उस समय वह छह माह की गर्भवती थी। जंगल में जाने के बाद रानी रुकमणि एक बाबा की कुटिया में आसरा लेती है। कुछ समय बाद उसे पुत्र की प्राप्ति हो जाती है। पुत्र का नाम वीरेद्र शाही लकड़हारा रखा गया। कुछ समय बाद बाबा, रूकमणि की मृत्यु हो जाती है। शाही लकड़हारा जंगल से लकड़िया काट कर लाला को बेचता है। लाला उसे लकड़ियों को बदले खाने को रोटी देता था।
समय बीतता गया। रायपुर का राजा राय सिंह होता था, जिसने अपनी बेटी वीना की शादी के लिए शर्ते रखी कि जो मेरे प्रश्रन् का उत्तर देगा उसके साथ मैं अपनी लकड़ी की शादी कर दूंगा। शाही लकड़हारा ने राजा की जो शर्ते थी, उसके अनुसार उसके सवाल का जवाब दे दिया। इस पर राजकुमारी वीना की शाही लकड़हारा वीरेद्र के साथ शादी राजा द्वारा की गई। शाही लकड़हारा शादी के बाद वीना को अपने साथ जंगल ले जाता है। महलों में रहने वाली वीना जंगल पहुची वह खाने-पीने के लिए कुछ नहीं था। इस दौरान लकड़हारा ने भी अपनी लकड़िया बेचनी बंद कर दी, जिससे बेच कर वह अपना पेट भरत था। वीना अपनी मा के दिए हुए कंगन निकाल कर लकड़हारे को देती है और कहती है कि इन्हे गिरवी रख कर रसोई का सामान ले आना।
शाही लकड़हारा पत्नी के कंगन सेठ के यहा गिरवी रख कर रसोई का सामान ले आता है। वीना से खाना बनाने के लिए कहता है। वीना ने कहा कि लकड़ी तो नहीं रसोई में खाना कैसे बनेगा। जब वह जंगल से लकड़ी काट कर लाता है तो वीना देखती है कि ये तो चंदन की लकड़ी है। वीना ने कहा कि जो लकड़ी बेचकर अपना पेट भरता था वह आम लकड़ी नहीं बल्कि चंदन की लड़की है। इनकी बाजार में कीमत काफी ज्यादा होती है। पहले लाला से अब तक बेची गई लकड़ियों का हिसाब करवा कर लाओ। इस पर शाही लकड़हारा लाला के पास पहुच कर अपना हिसाब करने के लिए कहता है। इस पर लाला उसे मना करता है। वीना भी वेष बदलकर वहा पहुच जाती है। वहा जाकर लाला को बताती है कि मैं राजा की लड़की हूं, मुझे पता है कि ये चंदन की लकड़ी है, इनका क्या भाव है। लाला के हाथ में पर्चे देकर कहती है कि इस पर्चे के हिसाब से छह साल का जो हिसाब बनता है वह जोड़ कर दे, जिसकी कीमत 86 हजार 400 रुपये बनती थी।
लाला हिसाब करके 86 हजार 400 रुपये शाही लकड़हारे को दे देता है। वीना कहती है कि इस पैसे के हम तीन हिस्से करेगे। एक हिस्सा लाला को दे देते है। एक हिस्सा स्वयं रख लेते हैं, एक हिस्सा गरीबों के दान-पुण्य करने के लिए हरिद्वार चले जाते हैं। जब शाही लकड़हारा नदी में स्नान कर रहा था तो उसकी बाजू पर बंधी पर्ची खुल कर गिर जाती,है। जिसे वीना पढ़ लेती है। उस पर लिखा था कि शाही लकड़हारा जोधपुर के राजा जोधानाथ का का पुत्र है। वीना पर्ची पढ़ने के बाद शाही लकड़हारा को लेकर राजा जोधानाथ के दरबार में पहुच जाती है। राजा अपने बेटे को देख कर खुश होता है। पूरे मामले के बारे में पता करता है। इसके बाद शाही लकड़हारा राजकुमार बन कर अपनी पत्नी वीना के साथ जीवन व्यतीत करता है।

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