Ho Gaye Hai Swapna Sab Sakar -Lyrics हो गये हैं स्वप्न सब साकार कैसे मान लें हम

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Ho Gaye Hai Swapna Sab Sakar-Lyrics
हो गये हैं स्वप्न सब साकार कैसे मान लें हम
टल गया सिर से व्यथा का भार कैसे मान लें हम।
आ गया स्वातंत्र्य फिर भी चेतना आने न पाई
प्रगति के ही नाम श्रध्दा और श्रम को दी विदाई
इस पराये तन्त्र को निज तन्त्र कैसे मान लें हम
हो गये हैं॥१॥
देश सारा घिर रहा है दान्य के घन बादलों से
घिर रही प्रिय मातृभू है दुष्टजनों और अरिदलों से
इस अमा के तिमिर को अब अरुणिमा क्या मान लें हम
हो गये हैं॥२॥
राष्ट्र को सब लोग भूले स्वार्थ है युग मंत्र सारा
प्रान्त भाषा भेद की है बह रही नित कलुष धारा
इस भयंकर मौज को पतवार कैसे मान लें हम
हो गये हैं॥३॥
अलस तज कर उद्यमी बन लें ह्रदय में ध्येय निष्ठा
हम सभी का एक व्रत हो विश्व में माँ की प्रतिष्ठा
देश की विषमता को ही अब चुनौती मान लें हम
हो गये हैं॥४॥

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