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0:16 - भादो में कौन सा पानी पीना चाहिए
0:33 - भादो में दही खाने के क्या क्या नुकसान हो सकते हैं
1:40 - क्या भादों में दही खाने से कबज हो सकती है
2:28 - भादों में दही खाने से साइनस की Problem हो सकती है
भाद्रपद महीने में क्या नहीं करना चाहिए?
भादों में दही क्यों नहीं खाना चाहिए?
भादो में क्या नहीं खाना चाहिए?
कौन से महीने में दही नहीं खाना चाहिए?
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dahi kitne din me kharab hota hai
dahi ko fridge mein rakhna chahie ya nahin
भादो (भाद्रपद) का महीना भारतीय पंचांग के अनुसार सावन के बाद और आश्विन से पहले आता है। यह समय वर्षा ऋतु के अंत का होता है, जब मौसम में नमी, आर्द्रता और संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
आयुर्वेद और लोक-परंपराओं में इस महीने के खान-पान और जीवनशैली को लेकर खास नियम बताए गए हैं, ताकि पाचन और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।
भादो महीने में क्या नहीं खाना चाहिए
दही और छाछ
इस समय वातावरण में नमी अधिक होती है, दही-छाछ ठंडी तासीर के कारण बलगम और सर्दी-जुकाम बढ़ा देते हैं।
आर्द्र मौसम में दही पचने में भारी हो जाता है और आंतों में संक्रमण का खतरा बढ़ाता है।
हरे पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी, चौलाई आदि)
इस मौसम में पत्तेदार सब्जियों में कीड़े और बैक्टीरिया पनपते हैं।
पाचन पर बोझ डालते हैं और दस्त/टायफाइड का खतरा बढ़ा सकते हैं।
कच्चा सलाद और सड़क का कटा फल
धूल-मिट्टी और बैक्टीरिया से पेट के संक्रमण की संभावना रहती है।
अत्यधिक ठंडे पेय और आइसक्रीम
नमी के मौसम में गले और फेफड़ों पर असर डालते हैं।
तेलिया, तला-भुना भोजन
पाचन शक्ति पहले से कमजोर होती है, इससे गैस, एसिडिटी और दस्त हो सकते हैं।
भादो महीने में क्या खाना चाहिए
सादा, हल्का और गर्म भोजन
मूंग दाल, चावल, घी, तोरी, लौकी, परवल जैसी आसानी से पचने वाली चीजें।
मसाले
अदरक, सौंठ, काली मिर्च, हल्दी—जो पाचन सुधारें और संक्रमण से बचाएं।
फलों में
अनार, सेब, पपीता, केला, अमरूद (छीलकर)।
गर्म पेय
अदरक वाली चाय, हर्बल काढ़ा, हल्दी वाला दूध।
भादो महीने में क्या नहीं करना चाहिए
देर रात तक जागना (रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटती है)।
भीगकर देर तक गीले कपड़े पहनना (फंगल संक्रमण बढ़ता है)।
गंदे पानी में चलना (त्वचा और पेट के संक्रमण का खतरा)।
भारी व्यायाम या अत्यधिक श्रम (शरीर पहले से कमजोर मौसम में जल्दी थकता है)।
दही क्यों नहीं खाना चाहिए?
आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु में अग्नि (पाचन शक्ति) मंद होती है।
दही भारी, चिकना और श्लेष्म बढ़ाने वाला है, जिससे खांसी-जुकाम, बुखार और त्वचा रोग हो सकते हैं।
अगर चाहो तो मैं आपको भादो के पूरे महीने के लिए एक आयुर्वेदिक "डाइट कैलेंडर" बना दूँ जिसमें हर दिन क्या खाना-पीना सही है और क्या नहीं, वह तिथि के हिसाब से लिखा हो।
यह आपको पूरे महीने पेट और संक्रमण से बचाएगा।
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