महासंग्राम महाभारत | भीष्म अर्जुन युद्ध | Mahasangram Mahabharata | Bhishma Arjuna War | Movie

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Watch the video song of ''Har Ghar Mandir Har Ghar Utsav"' here -    • हर घर मंदिर हर घर उत्सव। Sri Ram Janm...  

प्रभु श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण और उनके स्वागत के प्रति उल्लास एवं उत्साह व्यक्त करती हुई लिए तिलक की नवीन प्रस्तुति "हर घर मंदिर हर घर उत्सव"।

"Har Ghar Mandir Har Ghar Utsav" -A new presentation by Tilak expressing joy and enthusiasm for the grand temple construction at Lord Shri Ram's Janmbhoomi, Ayodhya.

Watch the film ''Mahasangram Mahabharata | Bhishma Arjuna War'' now!

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श्री कृष्ण के उपदेश के बाद श्री कृष्ण अर्जुन को अपना गांडीव धनुष उठाने के लिए कहते हैं और अर्जुन अपना धनुष उठा कर उसकी प्रत्यंचा की खिच कर युद्ध की घोषणा कर देता है। श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं की मैं तुम्हारा सारथी हूँ और तुम्हारी आज्ञा के अधीन हूँ इसलिए मुझे आज्ञा दो की मैं रथ को पांडवों की सेना में ले जाने के लिए कहने को कहते हैं। अर्जुन को लेकर श्री कृष्ण उसके स्थान पर चले जाते हैं। युधिष्ठिर अपने रथ से उतर कर हाथ जोड़कर कौरवों की ओर चल पड़ता है जिसे देख चारों पांडव उनके पास जाते हैं और उनसे पूछते हैं की आप कहा जा रहे हैं। अर्जुन के अपने स्थान पर युद्ध करने के लिए आजने पर युधिष्ठिर अपने रथ से उतर कर हाथ जोड़ कर कौरवों की ओर चल पड़ता है जिसे देख उसके चारों भाई उससे यह पूछते हैं की वो कहा जा रहे हैं तो वह उन्हें कुछ बताए बिना ही आगे बड़ जाता है तो श्री कृष्ण उन्हें बताते हैं की वह युद्ध से पहले अपने पितामह और अपने गुरु द्रोणाचार्य से आशीर्वाद लेने और उनसे युद्ध की आज्ञा लेने के लिए जा रहे हैं। युधिष्ठिर अपने पितामह भीष्म, गुरु द्रोणाचार्य, कुल गुरु और अपने मामा शैलय से आशीर्वाद और आज्ञा लेकर युद्ध शुरू करने का आदेश दे देता है। श्री कृष्ण अपने शंख को बजा कर धर्म युद्ध का प्रारंभ करते हैं। भीम युद्ध में अपनी गरज के साथ युद्ध करता है और उसके सामने जो भी आता उसका विनाश वह करता जाता। भीम से लड़ने के लिए जयदरथ जाता है और भीम को रोकने की कोशिश करता है।

भीम और जयदरथ में युद्ध हो शुरू हो जाता है लेकिन भीम जयदरथ को घायल कर देता है। दुर्योधन अश्वत्थामा को भीम को रोकने के लिए भेजता है। भीम और अश्वत्थामा के बीच युद्ध शुरू हो जाता है। भीम अश्वत्थामा को हरा रहा था तो कुल गुरु उसकी मदद करते हैं तो भीम उनके रथ को गदा से तोड़ देता है और अश्वत्थामा को गदा मार कर घायल कर देता है। पितामह भीष्म से लड़ने के लिए अर्जुन आ जाता है। अर्जुन और भीष्म में युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन भीष्म को प्रणाम करता है। भीष्म और अर्जुन में युद्ध शुरू हो जाता है। भीष्म अर्जुन पर भारी पड़ते हैं तो अभिमन्यु भी वहाँ आ जाता है और भीष्म को प्रणाम कर उनसे युद्ध करता है। अभिमन्यु का पहला बाँ भीष्म को लगता है तो भीष्म अभिमन्यु की प्रशंसा करता है। अभिमन्यु और भीष्म में युद्ध शुरू हो जाता है। भीष्म अभिमन्यु को हरा देते हैं। भीष्म के सामने शिखंडी आ जाता है जो द्रौपद का पुत्र था। भीष्म उसके रथ का पहिया तोड़ देते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। विराट नरेश का पुत्र उत्तर महाराज शैलय से युद्ध करता है। राजा शैलय उत्तर का वध कर देते हैं।

शाम होते ही युद्ध थम जाता है। विराट नरेश अपने पुत्र के वीरगति को प्राप्त होने पर गर्व होता है। पांडव विराट नरेश के पास उनकी वीरगति पर शोक प्रकट करते हैं। कौरवों के शिविर में रात्रि में दुर्योधन और उसके साथ आपस में अपनी आज की जीत का जश्न मनाते हैं और पांडवों के शिविर में हार के कारण शोक में डूबे सिर झुका कर बैठे होते हैं तो श्री कृष्ण उन्हें कौरवों से सिख लेने के लिए कहते है की वो हमसे युद्ध जितने के लिए युद्ध कर रहे थे और हम सिर्फ़ उनसे युद्ध मजबूरी में कर रहे थे। युधिष्ठिर अर्जुन के बारे में कहते हैं की अर्जुन ने जी जान से युद्ध नहीं करा। अर्जुन कहता है किया मुझे क्षमा करे में पितामह से उनके आदर के कारण मैं युद्ध नहीं कर पा रहा था। श्री कृष्ण पांडवों को कहते हैं की कल हम युद्ध जी जैन से लड़ेगे। अगले दिन युद्ध शुरू होता है और पांडव कौरवों पर भारी पड़ने लगते हैं। अर्जुन कौरवों पर तीरों की वर्षा करता है। दुर्योधन अर्जुन को रोकने के लिए आता है और दोनों में युद्ध शुरू हो जाता है। दुर्योधन पर अर्जुन भारी पड़ता है अर्जुन दुर्योधन के सारथी को घायल कर देते हैं तो उसके रथ का घोड़ा उसे अर्जुन से दूर ले जाता है। अर्जुन कौरवों की सेना का संहार करन फिर से शुरू कर देता है। शाम होते ही युद्ध समाप्त हो जाता है। अगले दिन युद्ध फिर से शुरू होता है। अर्जुन अगले दिन भी कौरवों पर भारी पड़ता है तो दुर्योधन पितामह भीष्म को अर्जुन से युद्ध करने के लिए भेजता है। भीष्म और अर्जुन में फिर से युद्ध शुरू हो जाता है।

भीष्म अपने हर वार में हारने पर भी अर्जुन से प्रसन्न होता है। दुर्योधन अपने अनेक महारथी को अर्जुन को मारने के लिए भेजता है तो उन्हें रोकने के लिए पांडव की ओर से भी अभिमन्यु, नकुल,सहदेव और उनके सहायक साथी वहाँ आ जाते हैं। श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं की भीष्म से युद्ध करो लेकिन अर्जुन भीष्म पर सही से वार नहीं करता। अर्जुन के तीर भीष्म के शरीर को भेद नहीं रहे थे। श्री कृष्ण यह देख अर्जुन को समझाते हैं की तुम्हें भीष्म का वध करना होगा। लेकिन अर्जुन श्री कृष्ण से कहता है मैं उन्हें नहीं मार सकता। श्री कृष्ण जब नहीं मानता तो श्री कृष्ण कहते हैं की यदि तुम भीष्म को नहीं मरोगे तो मैं उनका वध करूँगा। अर्जुन श्री कृष्ण से कहता है की अपने तो शस्त्र ना उठाने की प्रतिज्ञा ली थी। श्री कृष्ण अर्जुन को कहते है की यदि तुम अपने कर्तव्य को पूर्ण नहीं करोगे तो मुझे तो यह धर्म युद्ध करना ही होगा।

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