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Скачать или смотреть राष्ट्रीय स्वयंसेवी संघ (RSS) को क्यों किया गया था प्रतिबंधित? भारतीय इतिहास में rss पर बैन की घटना।

  • DEEP DARSHAK
  • 2025-07-12
  • 101
राष्ट्रीय स्वयंसेवी संघ (RSS) को क्यों किया गया था प्रतिबंधित? भारतीय इतिहास में rss पर बैन की घटना।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवी संघ (RSS) को क्यों किया गया था प्रतिबंधित? भारतीय इतिहास में rss पर बैन की घटना।
‪@DEEPDARSHAK‬

Introduction of the vedio:

आज का इतिहास:गांधी जी की हत्या के 5 दिन बाद लगा था RSS पर बैन, ठोस सबूत नहीं मिलने पर 16 महीने बाद सरकार को बदलना पड़ा था फैसला
4 वर्ष पहले
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गांधी जी की हत्या के 5 दिन बाद लगा था RSS पर बैन, ठोस सबूत नहीं मिलने पर 16 महीने बाद सरकार को बदलना पड़ा था फैसला|देश,National - Dainik Bhaskar
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। नाथूराम गोडसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का सदस्य रहा था। गांधी जी की हत्या के बाद आरएसएस प्रमुख गोलवलकर को गिरफ्तार कर लिया गया। 4 फरवरी 1948 को आरएसएस पर बैन लगा दिया गया।

कहा गया कि अपने आदर्शों के विपरीत जाते हुए आरएसएस ने अवैध हथियार इकट्ठे किए और हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया। हालांकि, महात्मा गांधी की हत्या और संघ पर प्रतिबंध लगाए जाने के करीब महीने भर बाद गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नेहरू को 27 फरवरी 1948 को एक चिट्ठी लिखी थी।

इस चिट्ठी में पटेल ने लिखा कि संघ का गांधी जी की हत्या में सीधा हाथ तो नहीं है, लेकिन ये जरूर है कि गांधी जी की हत्या का ये लोग जश्न मना रहे थे। पटेल के मुताबिक गांधी जी की हत्या में हिंदू महासभा के एक गुट का हाथ था। कुछ महीनों बाद गोलवलकर को रिहा कर दिया गया, लेकिन आरएसएस पर बैन अब भी लगा हुआ था।

आरएसएस पर से बैन हटाने के लिए गोलवलकर ने नेहरू को पत्र लिखा, जिसका जवाब देते हुए नेहरू ने कहा कि ये पूरा मामला गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के जिम्मे है। गोलवलकर, सरदार पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नेहरू के बीच इस बारे में कई बार पत्राचार हुआ।

10 नवंबर को नेहरू ने गोलवलकर को एक पत्र लिख कहा कि सरकार के पास आरएसएस के खिलाफ कई सबूत हैं, इस वजह से बैन नहीं हटाया जा सकता। गोलवलकर ने खत का जवाब देते हुए लिखा कि अगर सरकार के पास आरएसएस के खिलाफ सबूत हैं तो इसे सार्वजनिक किया जाए।

13 नवंबर को गृह मंत्रालय ने आरएसएस पर से बैन हटाने से इनकार कर दिया और गोलवलकर को दिल्ली छोड़ने को कहा गया। गोलवलकर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के खिलाफ आरएसएस के लोगों ने सत्याग्रह किया।

अभी तक सरकार के पास आरएसएस के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं था। यही वजह थी कि सरकार इस मामले में धीरे-धीरे बैकफुट पर जा रही थी। आखिरकार आज ही के दिन 1949 में सरकार ने कुछ शर्तों के साथ आरएसएस पर से बैन हटा दिया।

इन शर्तों के मुताबिक आरएसएस को अपना संविधान बनाना होगा और अपने संगठन सदस्यों के चुनाव करवाए जाएंगे। साथ ही आरएसएस किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेगा और खुद को सांस्कृतिक गतिविधियों तक सीमित रखेगा।

प्रतिबंध हटने के बाद आरएसएस ने सीधे तौर पर तो राजनीति में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ नाम की पार्टी बनाने में सहयोग किया। 1980 में जनसंघ के लोगों ने ही बीजेपी का गठन किया।

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