यहां प्रतिबन्ध है बेअसर, जान जोखिम में डाल निकाल रहे मछली

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सीहोर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर पटारा नदी पर जमकर मछियारे मछलियों का शिकार कर रहे हैं। नदी के बीचो-बीच उतर कर अपनी जान पर खेल कर मछलियों का शिकार करते दिखाई दे रहे है 15 अगस्त तक मछलियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। पटारा नदी का पानी कोलार डैम में जाता है यह काफी जानी-मानी नदी है। नदी के बीचों बीच 100 से 200 लोग मछलियों का शिकार करते दिखाई दे रहे है। बारिश के समय में मछलियों की वृद्धि हो इस बात को ध्यान में रखते हुए 16 जून से 15 अगस्त तक मत्स्य आखेट प्रतिबंधित पर जिला प्रशासन द्वारा मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके लिए मतस्य विभाग को कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए। बावजूद जिले भर में मछली मारने की होड़ जलाशयों या नदियों में देखने को मिल रही है। लेकिन क्या कारण है कि मत्स्य विभाग द्वारा किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। हालांकि यह कार्रवाई मत्स्य विभाग के अलावा पुलिस और राजस्व अमला भी कर सकता है, लेकिन कहीं से भी अभी तक एक भी कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। जबकि जिले के समस्त नदियों, नालों, छोटी नदियों, सहायक नदियों जिन पर सिंचाई के लिए छोटे या बड़े जलाशय बनाए गए हैं, उन पर यह प्रतिबंध लगाया गया है।

यह है प्रतिबंध का कारण
15 जून से लेकर 15 अगस्त तक मछलियों के प्रजनन का समय होता है, ऐसे में उनकी संख्या अधिक बड़े और मछली पालन जैसे कारोबार को बढ़ाया जाए इसको लेकर यह प्रतिबंध लगाए जाते हैं। प्रतिबंध लगाए तो जाते हैं लेकिन इन्हें तोडऩे के लिए विभाग के ही दलाल मछली विक्रेताओं और ठेकेदारों से सांठगांठ कर यह धंधा जारी रखते हैं।

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