Kedarnath Yatra 2024 | केदारनाथ यात्रा | Kedarnath Mandir Full Details | Kedarnath Dham | Anubhav

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केदारनाथ मन्दिर भारत के #उत्तराखण्ड राज्य के #रुद्रप्रयाग जिले में स्थित #हिन्दुओं का प्रसिद्ध #मंदिर है। उत्तराखण्ड में #हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह #ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ #चारधाम और #पंचकेदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण #पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू #शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि #शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था इसके बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। पांडवों से लेकर आदि शंकराचार्य तक। आज का विज्ञान बताता है कि केदारनाथ मंदिर शायद 8वीं शताब्दी में बना था। यदि आप ना भी कहते हैं, तो भी यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में है। केदारनाथ की भूमि 21वीं सदी में भी बहुत प्रतिकूल है। एक तरफ 22,000 फीट ऊंची केदारनाथ पहाड़ी, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंची कराचकुंड और तीसरी तरफ 22,700 फीट ऊंचा भरतकुंड है। इन तीन पर्वतों से होकर बहने वाली पांच नदियां हैं #मंदाकिनी , #मधुगंगा , #चिरगंगा, #सरस्वती और #स्वरंदरी। इनमें से कुछ इस पुराण में लिखे गए हैं। यह क्षेत्र "#मंदाकिनीनदी" का एकमात्र जलसंग्रहण क्षेत्र है। यह मंदिर एक कलाकृति है I कितना बड़ा असम्भव कार्य रहा होगा ऐसी जगह पर कलाकृति जैसा मन्दिर बनाना जहां #ठंडे के दिन भारी मात्रा में बर्फ हो और बरसात के #मौसम में बहुत तेज गति से पानी बहता हो। आज भी आप गाड़ी से उस स्थान तक नही जा सकते I फिर इस मन्दिर को ऐसी जगह क्यों बनाया गया? ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में 1200 साल से भी पहले ऐसा अप्रतिम मंदिर कैसे बन सकता है ? 1200 साल बाद, भी जहां उस क्षेत्र में सब कुछ हेलिकॉप्टर से ले जाया जाता है I JCB के बिना आज भी वहां एक भी ढांचा खड़ा नहीं होता है। यह मंदिर वहीं खड़ा है और न सिर्फ खड़ा है, बल्कि बहुत मजबूत है। हम सभी को कम से कम एक बार यह सोचना चाहिए। वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि यदि मंदिर 10वीं #शताब्दी में पृथ्वी पर होता, तो यह "हिम युग" की एक छोटी अवधि में होता। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी, देहरादून ने केदारनाथ मंदिर की चट्टानों पर लिग्नोमैटिक डेटिंग का परीक्षण किया। यह "पत्थरों के जीवन" की पहचान करने के लिए किया जाता है। परीक्षण से पता चला कि मंदिर 14वीं सदी से लेकर 17वीं सदी के मध्य तक पूरी तरह से बर्फ में दब गया था। हालांकि, मंदिर के निर्माण में कोई नुकसान नहीं हुआ। 2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ को सभी ने देखा होगा। इस दौरान औसत से 375% अधिक बारिश हुई थी। आगामी बाढ़ में "5748 लोग" (सरकारी आंकड़े) मारे गए और 4200 गांवों को नुकसान पहुंचा। भारतीय वायुसेना ने 1 लाख 10 हजार से ज्यादा लोगों को एयरलिफ्ट किया। सब कुछ ले जाया गया। लेकिन इतनी भीषण बाढ़ में भी केदारनाथ मंदिर का पूरा ढांचा जरा भी प्रभावित नहीं हुआ। भारतीय पुरातत्व सोसायटी के अनुसार, बाढ़ के बाद भी मंदिर के पूरे ढांचे के ऑडिट में 99 फीसदी मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है I

#kedarnath temple is one of the sacred pilgrimage centre in Northern India, located on the bank of Mandakini river at an altitude of 3584 meters above sea level. The historical name of this region is "#KedarKhand ".


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