संतोष श्रीवास्तव की कहानी - शहतूत पक गए हैं | Story by Santosh Shrivastav |Hindi Kahani |Audio Story

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संतोष श्रीवास्तव - शहतूत पक गए हैं | Story by Santosh Shrivastav | Hindi Kahani |Audio Story | स्वर - सिम्मी सैनी ‪@kathasahityapro‬

संतोष श्रीवास्तव हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका हैं। उनका जन्म 23 नवंबर 1952 को मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ। इतिहास, हिंदी), बी.एड तथा पत्रकारिता की उपाधियाँ प्राप्त कीं । नारी जागरूकता और उसकी अस्मिता की पहचान आपकी लेखनी के विषय हैं। आपकी रचनाओं में एक ओर वर्तमान स्थितियों तथा सामाजिक विसंगतियों का चित्रण दृष्टिगोचर होता है तो वहीं दूसरी ओर जीवन जीने की छटपटाहट और परिस्थितियों से लड़ने की सार्थक सोच भी है।
उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानी, लघु कथाएं, ललित निबंध तथा यात्रा संस्मरण लिखे हैं। उनकी रचनाओं में ‘दबे पाँव प्यार’, ‘टेम्स की सरगम’, ‘ख्वाबों के पैरहन’, ‘बहके बसंत तुम’, ‘बहते ग्लेशियर’, ‘फागुन का मन’, ‘नीली पत्तियों का शायराना हरारत’ आदि के नाम प्रमुख हैं।




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