Annapurna Stotram

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Composed by Shri Adi Shankaracharya, this is a very beautiful shloka in praise of Goddess Annapoorneshwari.

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12:52 Shloka 5
14:37 Shloka 6
16:03 Shloka 7
17:27 Shloka 8
18:58 Shloka 9
20:36 Shloka 10
22:00 Shloka 11, 12

अन्नपूर्णा स्तोत्रम्

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिलघोरपापनिकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी ।
प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१॥

नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी
मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी ।
काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरा काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥२॥

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मैकनिष्ठाकरी
चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी ।
सर्वैश्वर्यकरी तप:फलकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥३॥

कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी ह्युमा शाङ्करी
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी ।
मोक्षद्वारकवाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥४॥

दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी
लीलानाटकसूत्रखेलनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी ।
श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥५॥

उर्वीसर्वजनेश्वरी जयकरी माताकृपासागरी
वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥६॥

आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भुप्रिया शाङ्करी
काश्मीरत्रिपुरेश्वरी त्रिनयनी विश्वेश्वरी शर्वरी ।
स्वर्गद्वारकवाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥७॥

देवी सर्वविचित्ररत्नरुचिरा दाक्षायणी सुन्दरी
वामा स्वादुपयोधरा प्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी ।
भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥८॥

चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशी चन्द्रांशुबिम्बाधरी
चन्द्रार्काग्निसमानकुण्डलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी ।
मालापुस्तकपाशसाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥९॥

क्षत्रत्राणकरी महाभयह री माता कृपासागरी
साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरीश्रीधरी ।
दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१०॥

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे ।
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति ॥११॥
माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः ।
बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥१२॥

…..

नित्य-आनन्दकरी वर-अभयकरी सौन्दर्य-रत्न-आकरी
निर्धूत-अखिल-घोर-पाप-निकरी प्रत्यक्ष-माहेश्वरी ।
प्रालेय-अचल-वंश-पावनकरी काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी ॥१॥

नाना-रत्न-विचित्र-भूषणकरी हेम-अम्बर-आडम्बरी
मुक्ता-हार-विलम्बमान-विलसत् वक्षो-ज-कुम्भ-अन्तरी ।
काश्मीर-अगरु-वासित-अङ्ग-रुचिरा काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी॥२॥

योग-आनन्दकरी रिपु-क्षयकरी धर्म-एक-निष्ठाकरी
चन्द्र-अर्क-अनल-भासमान-लहरी त्रैलोक्य-रक्षाकरी ।
सर्व-ऐश्वर्यकरी तप:फलकरी काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी॥३॥

कैलास-अचल-कन्दर-आलयकरी गौरी हि उमा शाङ्करी
कौमारी निगम-अर्थ-गोचरकरी ओङ्कार-बीज-अक्षरी ।
मोक्ष-द्वार-कवाट-पाटनकरी काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी ॥४॥

दृश्य-अदृश्य-विभूति-वाहनकरी ब्रह्माण्ड-भाण्ड-उदरी
लीला-नाटक-सूत्र-खेलनकरी विज्ञान-दीप-अङ्कुरी ।
श्री-विश्वेश-मनःप्रसादनकरी काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी ॥५॥

उर्वी सर्व-जन-ईश्वरी जयकरी माता कृपा-सागरी
वेणी-नील-समान-कुन्त-लहरी नित्य-अन्न-दान-ईश्वरी ।
सर्व-आनन्दकरी सदा शुभकरी काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी ॥६॥

अ-आदि-क्ष-अन्त-समस्त-वर्णनकरी शम्भु-प्रिया शाङ्करी
काश्मीर-त्रि-पूर-ईश्वरी त्रि-नयनी विश्व-ईश्वरी शर्वरी ।
स्वर्ग-द्वार-कवाट-पाटनकरी काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी ॥७॥

देवी सर्व-विचित्र-रत्न-रुचिरा दाक्षायणी सुन्दरी
वामा स्वादु-पयोधरा प्रियकरी सौभाग्य-माहेश्वरी ।
भक्त-अभीष्टकरी सदा शुभकरी काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी ॥८॥

चन्द्र-अर्क-अनल-कोटि-कोटि-सदृशी चन्द्र-अंशु-बिम्ब-अधरी
चन्द्र-अर्क-अग्नि-समान-कुण्डलधरी चन्द्र-अर्क-वर्ण-ईश्वरी ।
माला-पुस्तक-पाश-स-अङ्कुशधरी काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी॥९॥

क्षत्र-त्राणकरी महा-भयहरी माता कृपा-सागरी
साक्षात् मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्व-ईश्वरी श्रीधरी ।
दक्ष-आक्रन्दकरी निरामयकरी काशी-पुर-अधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपा-अवलम्बनकरी माता-अन्न-पूर्ण-ईश्वरी ॥१०॥

अन्न-पूर्णे सदा-पूर्णे शङ्कर-प्राण-वल्लभे ।
ज्ञान-वैराग्य-सिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति ॥११॥

माता च पार्वती देवी पिता देव: महेश्वरः ।
बान्धवाः शिव-भक्ता: च स्वदेश: भुवन-त्रयम् ॥१२॥

शुभम्

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