हीमोग्लोबिन और मलेरिया की अद्भुत कहानी | Rudra’s IAS, Bhopal द्वारा प्रस्तुति
मानव शरीर के भीतर चलने वाली अनगिनत प्रक्रियाओं में से एक सबसे अद्भुत प्रक्रिया है — रक्त (Blood) की। रक्त के केंद्र में होता है एक अत्यंत महत्वपूर्ण अणु — हीमोग्लोबिन (Hemoglobin)।
🔬 हीमोग्लोबिन क्या है?
हीमोग्लोबिन एक लौह (Iron) युक्त प्रोटीन है जो लाल रक्त कणिकाओं में पाया जाता है। इसका मुख्य कार्य है — ऑक्सीजन का परिवहन (Transport of Oxygen)।
जब हम साँस लेते हैं, तो फेफड़े ऑक्सीजन को ग्रहण करते हैं और हीमोग्लोबिन इस ऑक्सीजन को बाँधकर शरीर के प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाता है। वहीं, जब कोशिकाएँ कार्बन डाइऑक्साइड बनाती हैं, तो हीमोग्लोबिन उसे वापस फेफड़ों तक ले जाकर बाहर निकाल देता है।
संरचना की दृष्टि से, हीमोग्लोबिन चार उपइकाइयों (subunits) से मिलकर बना होता है — जिनमें प्रत्येक में एक “हीम” समूह (Heme group) होता है। इसी में लौह (Fe²⁺) आयन ऑक्सीजन से जुड़ता है।
🧬 हीमोग्लोबिन और आनुवंशिकी (Genetic Aspect)
हीमोग्लोबिन का निर्माण हमारे डीएनए (DNA) द्वारा नियंत्रित होता है। इसके कई प्रकार होते हैं — जैसे HbA, HbF, HbS आदि।
इनमें से एक विशेष प्रकार HbS (Sickle Cell Hemoglobin) मानव इतिहास में बेहद रोचक भूमिका निभाता है, क्योंकि इसका सीधा संबंध मलेरिया से बचाव से जुड़ा हुआ है।
🦠 मलेरिया की कहानी
मलेरिया एक घातक बीमारी है, जो Plasmodium नामक परजीवी के कारण होती है। यह परजीवी मादा एनाफिलीज़ मच्छर (Female Anopheles mosquito) के काटने से मनुष्य में फैलता है।
जब मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो परजीवी उसके शरीर में चला जाता है और फिर अगले व्यक्ति को काटने पर उसके रक्त में प्रवेश कर जाता है।
मानव शरीर के भीतर यह परजीवी पहले यकृत (Liver) में जाकर अपनी संख्या बढ़ाता है, और फिर रक्त में आकर लाल रक्त कणिकाओं (RBCs) पर हमला करता है।
यहीं से शुरू होती है बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, और शरीर में कमजोरी की कहानी — यानी मलेरिया के लक्षण।
⚕️ हीमोग्लोबिन की कमी और मलेरिया का दोहरा खतरा
मलेरिया के कारण लाल रक्त कणिकाएँ नष्ट हो जाती हैं, जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाती है।
यह स्थिति एनीमिया (Anemia) कहलाती है, और गंभीर मलेरिया के मामलों में यह जानलेवा हो सकती है।
भारत और अफ्रीका जैसे देशों में, जहाँ मलेरिया आम है, वहाँ हीमोग्लोबिन की कमी और मलेरिया का यह दोहरा प्रभाव (Double Burden) लाखों लोगों को प्रभावित करता है — विशेषकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को।
🔬 वैज्ञानिक खोजों की यात्रा
हीमोग्लोबिन और मलेरिया के बीच संबंध की खोज 20वीं सदी के मध्य में वैज्ञानिकों द्वारा की गई।
1954 में एंथनी एलिसन (Anthony Allison) ने यह प्रमाणित किया कि सिकल सेल ट्रेट वाले लोग मलेरिया से सुरक्षित रहते हैं।
यह खोज चिकित्सा विज्ञान में एक मील का पत्थर साबित हुई — जिसने दिखाया कि आनुवंशिकी (Genetics) और रोगों के बीच गहरा संबंध होता है।
आज, वैज्ञानिक इस संबंध का उपयोग नई दवाओं, वैक्सीन और जीन एडिटिंग तकनीकों (जैसे CRISPR) के विकास में कर रहे हैं।
🧠 क्या सीखें इस कहानी से?
प्रकृति का संतुलन अद्भुत है — जहाँ एक बीमारी दूसरी बीमारी से सुरक्षा दे सकती है।
मानव शरीर एक जटिल यंत्र है — हीमोग्लोबिन जैसे प्रोटीन जीवन के लिए अनिवार्य हैं।
विज्ञान और चिकित्सा — हमारे स्वास्थ्य और विकास की कहानी को समझने की कुंजी हैं।
सामाजिक दृष्टि से, मलेरिया और एनीमिया दोनों ही आज भी विकासशील देशों की बड़ी चुनौतियाँ हैं, जिन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और अनुसंधान के माध्यम से ही हल किया जा सकता है।
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