Dhatu ke 10 gann. धातुओं के 10 गणों की पहचान ।

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*भ्वादिगण- कर्तरि शप
भवति ,एधते।
शप् -शेष रहता है -अ।
विशेष -इगन्त अङ्ग को गुण।
हलन्त धातु के अन्तिम वर्ण से पहले इक् को गुण।
अदादिगण -अदि प्रभृतिभ्यः शपः।
अत्ति ,अधीते ।
विशेष -विकर्ण लुक।
जुहोत्यादिगण -जुहोत्यादिभ्यः श्लुः।
जुहोति ,मिमीते।
विशेष -धातु को द्वित्व (श्लौः।)
दिवादिगण - दिवादिभ्यः श्यन् ।
दीव्यति ,जायते।
श्यन् -शेष रहता है - य।
स्वादिगण -स्वादिभ्यः श्नुः
सुनोति, चिनुते।
श्नु -शेष रहता है -नु।
विशेष -विकर्ण को गुण।
तुदादिगण -तुदादिभ्यः शः।
तुदति ,नुदते ।
श -शेष रहता है -अ ।
विशेष -गुण निषेध।
रूधादिगण -रूधादिभ्यः श्नम्।
रूणद्धि , इन्धे।
श्नम् -शेष रहता है - न।
विशेष -विकर्ण के न का धातु के अन्तिम अच् के बाद आगम।
^ न को ण भी हो जाता है ।
तनादिगण -तनादिकृञ्भ्यः उः।
तनोति ,करोति ,मनुते ,वनुते ।
उः- शेष रहता है - उ।
विशेष -विकर्ण को गुण।
क्र्यादिगण -क्र्यादिभ्यः श्नाः।
क्रीणाति ,लुनाति ,जानीते ।
श्ना -शेष रहता है -ना।
विशेष -ना ,णा ,नी ,णी।
परस्मैपदी धातु लोट् लकार मध्यम पुरूष एकवचन में हि के स्थान पर आन होता है ।
गृहाण ।
चुरादिगण -सत्याप पाश रूप वीणा तूल श्लोक सेना लोम त्वच वर्म चर्म चूर्ण चुरादिभ्यो णिच् ।
चोरयति, कथयति, यक्षयते ।
णिच् -शेष रहता है - इ
विशेष -पहले णिच् और फिर शप् ।
^ अन्तिम इक् को वृद्धि ।
^ उपधा इक् को गुण ।
श -आदि उदात्त।
शप् -अनुदात्त ।

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