वैदिक ज्योतिष में सूर्य का प्रभाव कारक एवं उपाय

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वैदिक ज्योतिष में यह एक महत्वपूर्ण और प्रमुख ग्रह है। भारतीय ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य से सम्बन्धित नक्षत्र कृतिका, उत्तराषाढा और उत्तराफ़ाल्गुनी हैं। यह भचक्र की पांचवीं राशि सिंह का स्वामी है।इसके चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए लोग प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं।
जन्म कुंडली के अध्ययन में भी सूर्य की अहम भूमिका होती है। हिन्दू धर्म में सूर्य को देवता का स्वरूप मानकर इसकी आराधना की जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को तारों का जनक माना जाता है। यह एक मात्र ग्रह है जो कभी वक्री नहीं चलता। वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है।

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