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Скачать или смотреть सबसे शक्तिशाली राम मंत्र - श्रीरामरक्षास्तोत्रम् Morning Mantra

  • Mantras de-Coded
  • 2025-11-27
  • 65
सबसे शक्तिशाली राम मंत्र - श्रीरामरक्षास्तोत्रम्  Morning Mantra
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Описание к видео सबसे शक्तिशाली राम मंत्र - श्रीरामरक्षास्तोत्रम् Morning Mantra

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श्रीरामरक्षास्तोत्रम्
एक भक्ति स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान श्री राम के सुरक्षा कवच में रखता है। इसमें भगवान राम की स्तुति की गई है और उनसे सुरक्षा मांगी गई है। यह स्तोत्र बुधकौशिक ऋषि द्वारा रचा गया था।

विनियोग में स्तोत्र के ऋषि, देवता, छंद और विनियोग का उल्लेख होता है, जो इस प्रकार है: "अस्य श्रीराम रक्षास्तोत्रमंत्रस्य बुधकौशिक ऋषि:। श्रीसीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप्‌ छन्द:। सीता शक्ति:। श्रीमद्‌हनुमान्‌ कीलकम्‌। श्रीरामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षा स्तोत्र जपे विनियोग:"।

"ध्यानं ध्याये दानुबाहुंम ध्रुत शर धनुषम। बद्ध पद्मासनस्थम। पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धि नेत्रम प्रसन्न वामाकारूढ सीता मुख कमल मिल लोचन नीरदाम नाना अलंकार दीप्तम जटा मंडलम रामचंद्र"।

इति ध्यानम्
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्।एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥1॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम्॥2॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्।स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्॥3॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्।शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज:॥4॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती।घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल:॥5॥
जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवन्दित:।स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक:॥6॥
करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित्।मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय:॥7॥
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु:।ऊरू रघूत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत्॥8॥
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तक:।पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु:॥9॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत्।स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्॥10॥
पाताल-भूतल-व्योम-चारिणश्छद्मचारिण:।न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि:॥11॥
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्।नरो न लिप्यते पापै: भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥12॥
जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाऽभिरक्षितम्।य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय:॥13॥
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्।अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमङ्गलम्॥14॥

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर:।तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक:॥15॥
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम्।अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु:॥16॥
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ॥17॥
फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ॥18॥
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्।रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ॥19॥

आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशावक्षया शुगनिषङ्ग सङिगनौ।रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत:पथि सदैव गच्छताम्॥20॥
संनद्ध: कवचीखड्गी चापबाणधरो युवा।गच्छन् मनोरथोSस्माकंराम: पातु सलक्ष्मण:॥21॥
रामो दाशरथि: शूरोलक्ष्मणानुचरो बली।काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण:कौसल्येयो रघूत्तम:॥22॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम:।जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम:॥23॥
इत्येतानि जपेन्नित्यंमद्भक्त: श्रद्धयान्वित:।अश्वमेधाधिकं पुण्यंसम्प्राप्नोति न संशय:॥24॥

रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्।स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर:॥25॥
रामं लक्ष्मण-पूर्वजंरघुवरं सीतापतिं सुंदरं।काकुत्स्थं करुणार्णवंगुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्।राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथ-तनयंश्यामलं शान्तमूर्तिं।वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकंराघवं रावणारिम्॥26॥
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:॥27॥
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम।श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।श्रीराम राम रणकर्कश राम राम।श्रीराम राम शरणं भव राम राम॥28॥

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि।श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि।श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि।श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये॥29॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्र:।स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र:।सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्।नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥30॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा।पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्॥31॥
लोकाभिरामं रणरङ्गधीरंराजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।कारुण्यरूपं करुणाकरन्तंश्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥32॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगंजितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।वातात्मजं वानरयूथमुख्यंश्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥33॥
कूजन्तं राम-रामेतिमधुरं मधुराक्षरम्।आरुह्य कविताशाखांवन्दे वाल्मीकिकोकिलम्॥34॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्॥35॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्।तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्॥36॥
रामो राजमणि: सदाविजयते रामं रमेशं भजे।रामेणाभिहता निशाचरचमूरामाय तस्मै नम:।रामान्नास्ति परायणं परतरंरामस्य दासोऽस्म्यहम्।रामे चित्तलय: सदा भवतुमे भो राम मामुद्धर॥37॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥38॥

॥ इति श्रीबुधकौशिकमुनिविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
॥ श्रीसीतारामचन्द्रार्पणमस्तु ॥


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