परमधाम के कण कण बोले श्री राज श्यामा। "धाम दर्शन"(श्री प्रेमल पिया जी)

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परमधाम 25 पक्ष जो आत्मका निज धाम है।जिस धाम का चिन्तन और श्री राजश्यामाजी के चरणों का ध्यान ही आत्मका आहार है। इसी के द्वारा "हम हक में हक हम में" ये अनुभूति करनी है।

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