[175] Maharana Partap के पिता udai singh की जान बचाने वाली पन्नाधाय का गाँव आज कैसा है??

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maha rana pratap singh - महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह की जान बचाने वाली पन्नाधाय का घर आज कहां है और उनके परिवार में कौन-कौन रहते हैं घर कैसा है गांव कौन सा है देखिए राजस्थान के मेवाड़ में बहुत ही महत्वपूर्ण घटना घटी महाराणा सांगा जिनकी पत्नी महारानी कर्मवती थी इनके पुत्र थे विक्रमादित्य और उदय सिंह महारानी कर्म वती ने अपने दोनों पुत्रों के लिए रणथंबोर की जागीर मांगी महाराणा सांगा के पश्चात उत्तराधिकारी रतन सिंह चित्तौड़गढ़ की गद्दी पर बैठे और महारानी कर्मवती अपने पुत्रों को लेकर रणथंबोर चली गई लेकिन चित्तौड़गढ़ के महाराणा रतन सिंह की मृत्यु के पश्चात वापस चित्तौड़गढ़ चली आई और अपने जेष्ठ पुत्र विक्रमादित्य को गद्दी पर बैठा कर खुद राजकाज संभालने लगी लेकिन विक्रमादित्य से सैनिक सामंत और जागीरदार परेशान थे क्योंकि विक्रमादित्य उनको अपमानित करते थे इससे नाराज होकर वह अपने अपने जागीर ओं में लौट गए लेकिन बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण करने की ठानी दो रानी कर्मावती ने हुमायूं को राखी भेजी और हुमायूं ने आश्वासन भी दिया लेकिन कर्म वती ने विक्रमादित्य और उदय सिंह को उनके ननिहाल बूंदी भेज दिया और जागीरदारों तथा सामंतों सैनिकों को अपने साथ लेकर युद्ध अपने नेतृत्व में लड़ने की थाने युद्ध में मेवाड़ी सैनिक पूरे जोर शोर से लड़े लेकिन युद्ध सामग्री अधिक नहीं होने के कारण उनको हार का सामना करना पड़ा और रानी कर्मावती ने रानियों के साथ जोहर किया लेकिन उसके बाद बहादुर शाह के सैनिक चित्तौड़ पर ज्यादा दिन टिक नहीं पा रहे थे मेवाड़ के बचे हुए राजपूत सैनिकों ने उन्हें मार भगाया और बूंदी से विक्रमादित्य तथा उद्देश्य को भी बुला लिया और विक्रमादित्य का राज्य अभिषेक कर दिया लेकिन यहां के सामंतों जागीरदार और सैनिक उस से असंतुष्ट थे और इसे संतुष्टि का पता चालाक बनवीर को चला चालाक बनवीर चित्तौड़गढ़ आ पहुंचा और जल्द ही उसने विक्रमादित्य का मुख्य सलाहकार बन गया धीरे धीरे मेवाड़ की बागडोर बनवीर के हाथों में आ गई मौका पाकर बनवीर ने विक्रमादित्य की एक ही वार से हत्या कर दी और वह उदय सिंह की तरफ बढ़ रहा था लेकिन यह समाचार किसी दासी ने पन्नाधाय को पहले ही पहुंचा दिया तो पन्नाधाय ने अपने पुत्र चंदन को उदय सिंह के वस्त्र पहना दिए और जब बनवीर आया तो उसने पूछा तो इशारा कर दिया चंदन की तरफ जोकि उदय सिंह के बिस्तर पर सो रहा था और पन्नाधाय की आंखों के सामने एक मां की आंखों के सामने बनवीर ने एक ही बार से उदय सिंह समझ कर चंदन को मार दिया उसके बाद पन्नाधाय ने अपने विश्वास वाले व्यक्ति के साथ मिलकर उदय सिंह को महल से बाहर निकाला और कुंभलगढ़ किले के किलेदार आशा सा है के यहां शरण मांगने आई आशा शाह ने अपना कर्तव्य समझकर और पन्नाधाय को बहिन मानकर तथा उद्देश्य को भांजा मानकर शरण दी यहीं पर उदय सिंह का राजतिलक हुआ उसके बाद बनवीर से युद्ध किया जिसमें बनवीर हार कर भाग गया और चित्तौड़ पर वापस अधिकार किया उदय सिंह ने उसके बाद यही कुंभलगढ़ के किले में उदय सिंह की पत्नी वैजयंती बाई के महाराणा प्रताप का जन्म हुआ वीर महावीर भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप जिनको जिनके ऊपर पूरे देश को गर्व है जो पूरे भारत में प्रसिद्ध हुए मेवाड़ की आन बान शान बने
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Pannadhay Smark Kameri
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