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Скачать или смотреть प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, राजस्थान में 1857 की क्रांति की शुरुआत 28 मई 1857, gk, patwar, vdo, reet,

  • DineshSeema
  • 2025-10-05
  • 3
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, राजस्थान में 1857 की क्रांति की शुरुआत 28 मई 1857, gk, patwar, vdo, reet,
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Описание к видео प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, राजस्थान में 1857 की क्रांति की शुरुआत 28 मई 1857, gk, patwar, vdo, reet,

1857 का विद्रोह भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसका असर राजस्थान पर भी पड़ा था। आइए, इससे संबंधित कुछ मुख्य जानकारियों पर नज़र डालते हैं: 

प्रमुख जानकारी

ए.जी.जी. (एजेंट टू गवर्नर जनरल): क्रांति के समय जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस राजस्थान के ए.जी.जी. थे।

क्रांति की शुरुआत: राजस्थान में 1857 की क्रांति की शुरुआत 28 मई 1857 को नसीराबाद छावनी से हुई थी।

राजस्थान का पहला शहीद: अमरचंद बांठिया, जिन्हें "राजस्थान का मंगल पांडे" भी कहा जाता है, राजस्थान के पहले शहीद माने जाते हैं। उन्हें 22 जून, 1858 को ग्वालियर में फाँसी दी गई थी। 

मुख्य विद्रोह के केंद्र

नसीराबाद

विद्रोह: 28 मई 1857 को 15वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। बाद में इसमें 30वीं नेटिव इन्फेंट्री के सैनिक भी शामिल हो गए।

परिणाम: सैनिकों ने छावनी को लूटा और दिल्ली की ओर कूच किया। 

नीमच

विद्रोह: 3 जून 1857 को नीमच छावनी में विद्रोह हुआ, जिसका नेतृत्व मोहम्मद अली बेग ने किया।

परिणाम: यहाँ से विद्रोही सैनिक दिल्ली के लिए रवाना हुए।

एरिनपुरा

विद्रोह: 21 अगस्त 1857 को एरिनपुरा छावनी में विद्रोह हुआ, जिसका नारा "चलो दिल्ली, मारो फिरंगी" था।

नेतृत्व: जोधपुर लीजन के सैनिकों ने यह विद्रोह किया।

कोटा

विद्रोह: 15 अक्टूबर 1857 को कोटा में विद्रोही सैनिकों ने जयदयाल और मेहराब खान के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया।

परिणाम: विद्रोहियों ने पॉलिटिकल एजेंट मेजर बर्टन और उसके दो पुत्रों की हत्या कर दी। कोटा पर लगभग 6 महीने तक विद्रोहियों का नियंत्रण रहा।

आउवा (पाली)

विद्रोह: ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत ने अंग्रेजों और जोधपुर की संयुक्त सेना का मुकाबला किया।

मुख्य युद्ध:

बिठौड़ा का युद्ध (8 सितंबर 1857): कुशाल सिंह ने जोधपुर की सेना को हराया।

चेलावास का युद्ध (18 सितंबर 1857): इसे "काले और गोरों का युद्ध" भी कहा जाता है। इसमें कुशाल सिंह ने पॉलिटिकल एजेंट मॉरिसन को हराया और मार डाला।

मेवाड़ का रुख

महाराणा स्वरूप सिंह: मेवाड़ के महाराणा स्वरूप सिंह ने अंग्रेजों का साथ दिया। उन्होंने अंग्रेजों को आर्थिक मदद भी दी और सामंतों को विद्रोह दबाने में मदद करने का आदेश दिया। 

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