निष्काम कर्म जीवन में कैसे आए? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2020)

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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?

अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।

और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।

संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!

आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।

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वीडियो जानकारी: 24.01.2020, अद्वैत बोध शिविर, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत

प्रसंग:

यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेऽर्जुन ।
कर्मेन्द्रियैः कर्मयोगमसक्तः स विशिष्यते ॥3.7॥

भावार्थ : किन्तु हे अर्जुन! जो पुरुष मन से इन्द्रियों को वश में करके अनासक्त हुआ समस्त इन्द्रियों द्वारा कर्मयोग का आचरण करता है, वही श्रेष्ठ है॥7॥

~ श्रीमद् भगवद्गीता (अध्याय ३, श्लोक ७)

~ निष्काम कर्म का वास्तविक मर्म क्या हैं?
~ निष्कामता से कर्म कैसे करें?
~ निष्काम कर्मयोग का सिद्धांत क्या हैं?

संगीत: मिलिंद दाते
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