श्रीमद भगवद् गीता सार 25 मिनट में SHRIMAD BHAGVAD GEETA SAAR HINDI SHRI KRISHNA VAANI 18 TEACHINGS

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श्रीमद भगवद् गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक के 18 उपदेश



1. सच्चा इंसान झूठे इंसान से तब तक नहीं जीत सकता जब तक वो झूठ अन्याय और ग़लत के खिलाफ़ ख़ुद लडऩे के लिए खड़ा नहीं होता।

2. जितना ज़्यादा किसी में अपनापन और मोह रखोगे वो आपको उतना ही रुलाऐगा।

3. ज़िन्दगी में कभी इतना सहना नहीं चाहिए कि सामने वाला आपको कमजोर समझ कर बार बार चोट पहुंचाता रहे

4. बहुत जल्दी छोटी छोटी बातों पर क्रोध करना आपको बर्बाद कर देगा।

5. किसी भी चीज़ का अत्याधिक सेवन नहीं करना चाहिए किसी भी चीज़ को इतना ज़्यादा use मत करो की आपको उसकी आदत लग जाये।

6. जब भी ज़िन्दगी में कोई मुश्किल आए कोई साथ नजर ना आए तो ईश्वर से प्रार्थना ज़रूर करनी चाहिए.

7. कर्म करो फल की चिंता मत करो।

8. Negative लोगों की बातों पे कभी respond नहीं करना चाहिए negative कमेंट्स पर कभी बहस नहीं करनी चाहिए

9. ज़िन्दगी में कभी किसी के भरोसे मत बैठे रहो

10. सुख एवं आनंद मनुष्य के भीतर ही निवास करते हैं। परंतु मनुष्य उसे स्त्री में, घर में और बाहरी सुख प्राप्ति के लिए ढूंढ रहा है।

11. गीता के अनुसार, जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है वैसे उसे इस बात का एहसास होता है कि उसने व्यर्थ ही उन लोगों को महत्व दिया जिनका उसके जीवन में कोई योदगान था ही नहीं.

12. जो लोग अपने मन को कंट्रोल नहीं कर पाते उनका मन उनका दुश्मन बन जाता है
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13. दुख और सुख जीवन में मौसम की तरह आते रहेंगे। ना सुख हमेशा रहने वाला है ना दुख हमेशा रहेगा इसीलिए दुख आएगा तो घबराना नहीं चाहिए और सुख आए तो उसकी आदत नहीं लगानी चाहिए

14. जो होने वाला है वो होकर ही रहता है और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नही सताती है।

15. अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान मत दो, तुम अपना कर्म करते रहो।

16. अपने आपको ईश्वर के प्रति समर्पित कर दो, यही सबसे बड़ा सहारा है। जो कोई भी इस सहारे को पहचान गया है वह डर, चिंता और दुखों से आजाद रहता है।

17. तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो, तुम क्या लाए थे जो तुमने खो दिया, तुमने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया, तुमने जो लिया यहीं से लिया, जो दिया यहीं पर दिया, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का होगा। क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है।

18 . जो मनुष्य जिस प्रकार से ईश्वर का स्मरण करता है उसी के अनुसार ईश्वर उसे फल देते हैं।

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