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Скачать или смотреть शिशुपाल का पुनर्जन्म रहस्य | नर नारायण की कथा

  • Shree Krishna
  • 2025-08-25
  • 81371
शिशुपाल का पुनर्जन्म रहस्य | नर नारायण की कथा
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Описание к видео शिशुपाल का पुनर्जन्म रहस्य | नर नारायण की कथा

शिशुपाल के वध के बाद उसकी आत्मा से श्री हरी के पार्षद जय प्रकट होते हैं। श्री हरी उसकी आत्मा को वैकुंठ भेज देते हैं। वैकुंठ जाते वक्त नारद मुनि जी जय को बताते हैं की आप श्राप से तीन जन्मों से आज मुक्त हुए हैं। जब जय उनसे पूछते हैं की ये सब कैसे हुआ तो नारद जी उन्हें उनकी कथा सुनते हैं। नारद जी ने सुनाई पार्षद जय को उनकी तीन जन्मों की कथा जिसमें नारद जी उन्हें बताते हैं की एक बार ब्रह्मा जी के चारों पुत्रों को उन्होंने वैकुंठ में आने से रोक दिया था तो क्रोधित हो कर उन ब्रह्म कुमारों ने उन्हें श्राप दे दिया था। जय विजय दोनों पार्षद श्री हरी से प्रार्थना करते हैं की आप हाई हमें हमारे जन्मों से मुक्त करे। जिसके कारण पहले जनम में दोनों पार्षद हरिणयाक्ष और हरिणयकश्यप के रूप में जन्मे जिन्हें विष्णु भगवान ने वाराह अवतार और नरसिंह अवतार ले मुक्ति दी थी। दूसरे जनम में दोनों का जनम रावण और कुम्भकर्ण के रूप में हुआ था। जिनका वध श्री राम द्वारा हुआ था। तीसरे जनम में तुम शिशुपाल के रूप में जन्मे थे इसीलिए प्रभु ने स्वयं तुम मार कर मुक्त किया है। जय नारद जी से पूछते हैं की विजय कहाँ है तो नारद जी बताते हैं की विजय अभी दन्तवक्र के रूप में पृथ्वी लोक पर ही है कुछ समय बाद श्री कृष्ण उसका भी वध कर देंगे जब वह उनकी द्वारिका पर हमला करेगा।

श्री कृष्ण धारावाहिक की इस कथा में नर नारायण की कथा का वर्णन किया गया है जिसमें दिखाया गया है की सतयुग काल में नर नारायण ने हिमालय पर्वत शृंखला के एक पर्वत पर घोर साधना की थी जिस के कारण इंद्र का सिंहासन भी ढगमगा गया और इंद्र ने उनकी तपस्या को अपने सिंहासन के लिए ख़तरा समझ कर अपनी सभा की प्रमुख अप्सराओँ को नर नारायण को तपस्या को भंग करने के लिए भेज दिया। सभी अप्सराएँ नर नारायण को लुभाने की कोशिश करती हैं। नर नारायण उन सभी अप्सराओँ के अहंकार को तोड़ने के लिए उनके सामने अपनी जाँघ से उर्वशी को प्रकट कर देते हैं। नर नारायण उन अप्सराओं और उर्वशी के बीच नृत्य और संगीत की प्रतियोगिता करवाते हैं जिसे उर्वशी उन सभी अप्सराओं को हरा देती हैं। सभी अप्सराएँ नर नारायण से क्षमा माँगती हैं। नर नारायण उन्हें माफ़ कर देते हैं और उनसे कहते हैं की उर्वशी को भी साथ ले जाओ और इंद्र देव से कहो की हमें ऐसे प्रलोभन ना दे हमें उनके स्वर्ग और उनके सिंहासन का कोई लोभ नहीं हैं। यही नर नारायण द्वापरयुग में अर्जुन और श्री कृष्ण के रूप में जनम लेते हैं।

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